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Published : Apr 14, 2021, 3:44 AM IST

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यूपी सरकार ने जारी किया निजी अस्पतालों के लिए कोरोना के इलाज का रेट

योगी सरकार ने एक आदेश में प्रदेश के निजी अस्पतालों की ओर से उपलब्ध कोरोना के इलाज के लिए रेट निर्धारित किए हैं. मान्यता प्राप्त अस्पतालों की इलाज दर 10 हजार से लेकर 18 हजार के बीच रखी गई है. अस्पतालों को शहरों के लिहाज से 3 श्रेणी में बांटा गया हैं. इसमें गाजियाबाद 'ए' श्रेणी में आता है, जहां पर अस्पताल के रेट तय किए गए हैं.

Corona treatment rate fix
कोरोना के इलाज का रेट फिक्स

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को जारी एक आदेश में प्रदेश के निजी अस्पतालों की ओर से उपलब्ध कोरोना के इलाज के लिए रेट निर्धारित किए हैं. इसके तहत अस्पतालों को दो श्रेणी में बांटा गया है. National Accreditation Board for Hospitals (NABH) की ओर से मान्यता प्राप्त अस्पतालों की इलाज दर 10 हजार से लेकर 18 हजार के बीच रखी गई है. हालांकि, सामान्य अस्पतालों के लिए यही दर 8 हजार से 15 हजार रुपये प्रतिदिन रखी गई है.

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की ओर से जारी शासनादेश के आधार पर गाजियाबाद के डीएम ने जिले के निजी अस्पतालों के लिए आदेश जारी कर कोरोना के इलाज के लिए आने वाले खर्च का निर्धारण कर दिया है. इलाज के खर्च में पीपीई किट की कीमत भी शामिल की गई है. हालांकि, इस आदेश में दवाइयों और इलाज में खपत होने वाले अन्य सामानों के रेट अलग से निर्धारित नहीं किए गए हैं. मतलब अब साफ है कि सरकार के इस फैसले से अस्पतालों पर नकेल लगाई गई है. अब अस्पताल मनमाने ढंग से इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूल नहीं पाएंगे.

यहां, जानें किसका कितना चार्ज

गाजियाबाद में जिला प्रशासन ने 8 निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत किया है। इनके पास 544 बेड की उपलब्धता भी है. ऐसे अस्पतालों में ये नए आदेश लागू होंगे. यूपी के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद की ओर से जारी किए गए शासनादेश में साफ है कि यूपी के अस्पतालों को शहरों के लिहाज से 3 श्रेणी में बांटा गया हैं. इसमें गाजियाबाद 'ए' श्रेणी में आता है, जहां पर अस्पताल के रेट तय किए गए हैं.

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कितना होगा खर्च?

शासनादेश के अनुसार NABH द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में सामान्य बीमारी के लिए 10 हजार (जिसमें 1200 के पीपीई किट शामिल हैं), गंभीर बीमारी जिसमें आईसीयू के लिए 15 हजार (2 हजार कीमत के पीपीई किट शामिल हैं) और अति गंभीर जिसमें आईसीयू (वेंटिलेटर सहित) 18 हजार रुपये प्रतिदिन का चार्ज निर्धारित किया गया है. ऐसे ही सामान्य अस्पताल के लिए सामान्य बीमारी में 8 हजार, गंभीर में आईसीयू के लिए 13 हजार और अति गंभीर के लिए 15 हजार प्रतिदिन के रेट निर्धारित किए गए हैं. इन सभी अस्पतालों को अपने 20 फीसदी बेड कोरोना के इलाज के लिए सरकारी और आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों के लिए भी अरक्षित करने होंगे.

सरकार का जो आदेश मिला है उसमें दवाओं, इलाज में उपभोग होने वाली सामग्रियों पर शुल्क के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. डीएम अजय शंकर पांडेय ने कहा कि हम राज्य सरकार को लिखेंगे कि शुल्क में अन्य लागतें शामिल हैं या नहीं इसकी भी जानकारी अलग से मुहैया कराई जाए. जो इलाज के लिए रेट तय किए गए हैं, उसमे अस्पतालों में कमरे के किराए से लेकर डॉक्टर का परामर्श शुल्क, खाना, नर्सिंग चार्ज, ऑक्सिजन का खर्च, लैब टेस्ट, दवाएं, पीपीई किट, एन -95 मास्क सहित बहुत सी ऐसी वस्तुएं है, जिसका इस्तेमाल होता है.

क्या कहते हैं आईएमए के अध्यक्ष


इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष का मानना है कि दवाओं या लैब जांच की कीमतों में भिन्नता के कारण दवाओं की कीमतों को शायद आदेश से बाहर रखा गया है। हम यह मान रहे हैं कि दवाइयों की दर, लैब टेस्ट इत्यादि को सरकारी आदेश में उल्लिखित कीमतों से बाहर रखा गया है। यदि इस तरह की वस्तुओं को शामिल किया जाता है, तो निजी अस्पतालों के लिए मूल्य निर्धारण संभव नहीं होगा क्योंकि कई दवाएं हैं, जिनकी उच्च दरें हैं और उनकी कीमतों को शामिल करना संभव नहीं होगा.

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