लखनऊ. नीट के बिना आयुष में एडमिशन लेने की हुई धांधली के मामले में सीबीआई जांच की यूपी सरकार ने संस्तुति की है. सीएम के निर्देश पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने संस्तुति की है. आयुर्वेद विभाग में बिना नीट के कई मेडिकल कोर्सेज में दाखिले को लेकर बड़ा घोटाला किया गया है, जिसको लेकर पहले इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस जांच को सीबीआई को संशोधित करने की सिफारिश उत्तर प्रदेश के गृह विभाग की तरफ से की गई है.
उल्लेखनीय है कि बिना नीट के आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन में हुई बड़ी धांधली और बड़े घोटाले को अंजाम तक पहुंचाने को लेकर सरकार की तरफ से पहले इस पूरे मामले की जांच कराने सीबीआई से कराने का फैसला किया गया. इस पूरे घोटाले का दायरा और अधिक बढ़ने की जानकारी अफसरों को मिली और इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दी गई. उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद की तरफ से इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है. इस पूरे मामले में जिन छात्रों के आयुष के पाठ्यक्रम में बिना नीट के प्रवेश प्रक्रिया पूरी कराई गई, उनमें तमाम अधिकारी नेता व डाॅक्टरों के बच्चों और अफसरों नेताओं के रिश्तेदारों के नाम सामने आ रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के आयुष कॉलेजों में वर्ष 2021 में हुए दाखिलों में अब तक 891 मामले संदिग्ध पाए गए हैं. इनमें से 22 ऐसे हैं जो नीट में शामिल ही नहीं हुए. इस पूरे मामले में डाटा रखने वाली कंपनी अपट्रान उसके वेंडर और अन्य संबंधित वेंडर एजेंसी के प्रतिनिधियों पर एफआईआरदर्ज कराई गई है. इस पूरे मामले की जांच पहले एसटीएफ से तो शुरू कराई गई, लेकिन जब जांच का दायरा बड़ा और तमाम बड़े खुलासे होना शुरू हुए तो इसकी जांच सीबीआई से कराने का फैसला किया गया.
निलंबित करने की कार्यवाही :मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से सीबीआई जांच की सिफारिश होते ही आयुष विभाग की तरफ से आयुष निदेशक डॉ एस एन सिंह व प्रभारी अधिकारी डॉ उमाकांत यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की कार्यवाही शासन की तरफ से की गई है. इसके अलावा प्रोफेसर विजय पुष्कर संयुक्त निदेशक वह निदेशक यूनानी डॉक्टर मोहम्मद वसीम के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि बिना नेट के आयुष विभाग के विभिन्न पाठ्यक्रमों में एडमिशन करा कर तमाम तरह की धांधली की गई. जब मामला सामने आया तो इसकी जांच पड़ताल शुरू की गई. सीबीआई से जांच की सिफारिश होने के तत्काल बाद कई विभागीय चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही की गई है.
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