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उत्तर प्रदेश शासन का आदेश, सड़कों, गलियों, फुटपाथ से हटाए जाएं धार्मिक प्रकृति के कब्जे

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि सड़कों (राजमार्गों सहित) गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन आदि पर धार्मिक प्रकृति की कोई संरचना के निर्माण की अनुमति न दी जाए. शासन का आदेश है कि यदि इस प्रकार की कोई संरचना या निर्माण दिनांक 1 जनवरी 2011 अथवा उसके बाद किया गया हो तो उसे तत्काल हटा दिया जाए.

अवनीश अवस्थी.
अवनीश अवस्थी.

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Published : Mar 11, 2021, 10:32 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि सड़कों (राजमार्गों सहित) गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन आदि पर धार्मिक प्रकृति की कोई संरचना के निर्माण की अनुमति कदापि न दी जाए. यदि इस प्रकार की कोई संरचना या निर्माण दिनांक 1 जनवरी 2011 अथवा उसके बाद किया गया हो तो उसे तत्काल हटा दिया जाए. इस पूरे मामले पर विस्तृत जांच आख्या को अगले 2 महीने बाद प्रस्तुत करना है. शासन द्वारा यह निर्देश उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में जारी किए गए हैं. प्रदेश के सभी मंडलायुक्त, पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर व लखनऊ, समस्त परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक, उपमहानिरीक्षक, समस्त जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक को जारी निर्देशों में यह भी कहा गया है कि यदि कोई भी धार्मिक संरचना, अतिक्रमण सार्वजनिक सड़क, राजमार्गों सहित गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन आदि पर दिनांक 1 जनवरी 2011 से पहले किया गया हो तो उसे योजना बनाकर संबंधित धार्मिक संरचना के अनुयायियों अथवा इसके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा प्रस्तावित निजी भूमि पर 6 माह के भीतर स्थानांतरित कर उसे हटा दिया जाएगा. इसकी अनुपालन आख्या भी शासन को प्रस्तुत की जाएगी.

निर्देशों के अनुसार दिनांक 10.06.2016 या उसके बाद संबंधित तहसीलो/जिलों के जिलाधिकारियों/ उप जिलाधिकारियों तथा क्षेत्राधिकारियों, पुलिस अधीक्षक/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा जिले के संबंधित अधिकारी, जो सड़कों (राजमार्गों सहित) अनुरक्षण के लिए जिम्मेदार हैं, उनको यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि सार्वजनिक सड़कों (राजमार्गों सहित) गलियों, फुटपाथों, लेन आदि पर किसी भी धर्म संप्रदाय जाति वर्ग आदि से संबंधित कोई धार्मिक संरचना /निर्माण कर के अतिक्रमण न किया जाए. निर्देशों में यह भी कहा गया है कि यदि इसमें कोई विचलन अथवा अवज्ञा होती है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे. इन आदेशों की अवज्ञा जानबूझकर मा. उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना होगी, जो आपराधिक अवमानना मानी जाएगी.

शासनादेश में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाई जाए कि सार्वजनिक सड़कों (राजमार्गों सहित) गलियों, फुटपाथों और लेन आदि पर धार्मिक गतिविधियों के कारण निर्वाद यातायात अथवा जनता के आवागमन में कोई बाधा उत्पन्न न हो और ऐसी गतिविधियां अनिवार्य रूप से संबंधित धार्मिक वर्गों के लिए चिन्हित स्थानों अथवा निजी स्थानों पर ही की जाएं.

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