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UP Global Investors Summit 2023 : यूपी के बड़े डिफाल्टर बिल्डर के लिए जी20 समिट बनी वरदान, जानिए कैसे - G20 meeting

जी-20 की मीटिंग में उत्तर प्रदेश (UP Global Investors Summit 2023) के सबसे बड़े अवैध काम करने वाले बिल्डर को राहत मिलने की बात सामने आई है. जी-20 की मीटिंग का आयोजन के लिए होटल खोजते समय सरकार को इस कॉलोनी के बाहर लखनऊ में कहीं कोई स्थान नहीं मिला.

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Published : Feb 14, 2023, 9:25 PM IST

Updated : Feb 15, 2023, 11:12 AM IST

लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे

लखनऊ : जी-20 की मीटिंग में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े अवैध काम करने वाले बिल्डर को राहत मिली है. ईओडब्ल्यू, ईडी और इनकम टैक्स और निवेशकों की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथाॅरिटी (रेरा) में की गईं 403 शिकायतों और जांच में घिरे अंसल की कॉलोनी सुशांत गोल्फ सिटी में करोड़ों रुपये के विकास कार्य करा दिए गए. जबकि यह काम कराने की जिम्मेदारी इसी कॉलोनी के विकास कर्ता पर थी. इस कॉलोनी के साथ इतने घोटाले जुड़े हुए हैं कि यहां होने वाले विस्तार को भी शासन ने रोक दिया था. इसके बावजूद इस आयोजन के लिए होटल खोजते समय सरकार को इस कॉलोनी के बाहर लखनऊ में कहीं कोई होटल नहीं मिला.

यूपी के बड़े डिफाल्टर बिल्डर को जी-20 में सबसे बड़ी राहत



दरअसल रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथाॅरिटी (रेरा) की ओर से कराई गई जांच और मिली शिकायतों में यह सामने आया था कि अंसल एपीआई ने ग्राहकों से जमा कराए पैसे को दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिया था. 403 शिकायतों की सुनवाई के बाद रेरा की ओर से जारी आदेश में फोरेंसिक ऑडिट पूरा करने के लिए दो महीने की मोहलत दी गई थी. इसमें यह जांच की गई कि पैसा कहां से आया और कहां लगाया गया. रेरा परियोजनाओं के एस्क्रो एकाउंट से 10 फीसदी से अधिक खर्च करने के लिए रेरा की अनुमति लेनी होगी. यह आदेश उन बिल्डर कंपनियों पर भी लागू होगा, जिन्होंने एफएसआई में भूखंड या प्रोजेक्ट अंसल एपीआई से लिए हैं.

यूपी के बड़े डिफाल्टर बिल्डर को जी-20 में सबसे बड़ी राहत


रेरा का कहना है कि सुशांत गोल्फ सिटी के फंड दूसरे प्रोजेक्टों में ट्रांसफर किए गए हैं. इस कारण प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए पैसा बिल्डर के पास बचा ही नहीं. उनके अधिवक्ता ने खुद खाते में पैसा न होने की बात स्वीकार की है. एक ऑडिटर भी नियुक्त किया जा रहा है, जो हाईटेक सिटी में मौजूद बिना बिक्री वाली संपत्तियों को चिह्नित करेगा. ऐसी संपत्तियों की सूची तैयार करके उननी कीमत का आकलन किया जाएगा. उससे मिलने वाली रकम से आवंटियों का पैसा लौटाया जाएगा. अंसल एपीआई बिना रेरा की अनुमति के नई संपत्तियां भी नहीं बेच सकेगा. यूके की कंपनी करी एंड ब्राउन के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए इससे फोरेंसिक ऑडिट कराया गया है. नोएडा प्राधिकरण के साथ-साथ यह कंपनी दुनिया के प्रमुख सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के वित्तीय ऑडिट का काम देखती है. रेरा में बिल्डर की तरफ से कोई ठोस कार्ययोजना नहीं दी जा सकी है. अंसल एपीआई के अधिकारी रेरा को यह बताने में विफल रहे कि किस तरह अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा. कई मामलों में तो प्रोजेक्ट पूरा करने की पूर्व निर्धारित तारीख से भी चार-पांच साल बाद की डेडलाइन बताई गई है. फॉरेंसिक ऑडिट में करीब 600 करोड़ रुपए का फंड डायवर्जन पकड़ा गया था.

यूपी के बड़े डिफाल्टर बिल्डर को जी-20 में सबसे बड़ी राहत



इस मामले में अलग-अलग विभागों ने जी-20 को लेकर सीबीआई आंसर की सुशांत गोल्फ सिटी में अनेक काम कराए. मुख्य रूप से नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी, जल संस्थान, लेसा ने करोड़ों रुपये का काम इस कॉलोनी में करा दिए. कुछ काम एपीआई अंसल ने भी अपनी ओर से करवाए हैं. जिससे बदहाल होती कॉलोनी का स्वरूप ही बदल चुका है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता राजकुमार ने बताया कि यहां काम करवाए गए हैं जिनका आकलन अभी किया जा रहा है कि कुल कितना काम हुआ है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के अतिरिक्त अन्य विभागों ने भी काम करवाए हैं. कुछ मरम्मत के कार्य एपीआई अंसल ने भी करवाएं हैं. लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि निश्चित तौर पर एक डिफाल्टर कंपनी कि कॉलोनी में इतनी बड़ी समेट को कराने का औचित्य समझ से बाहर है. लखनऊ शहर के भीतर अनेक बड़े होटल और प्रतिष्ठित होटल हैं. इस पर सवालिया निशान है. निश्चित तौर पर एपीआई अंसल को इससे लाभ हुआ है.

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Last Updated : Feb 15, 2023, 11:12 AM IST

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