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अब यूपी के किसान करेंगे ड्रोन का इस्तेमाल, सिर्फ 7 मिनट में एक एकड़ खेत में होगा कीटनाशक का छिड़काव

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Published : Sep 4, 2022, 5:27 PM IST

उत्तर प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे. ड्रोन के जरिये किसान एक एकड़ खेत में कीटनाशकों, वाटर सॉल्यूबल (पानी में घुलनशील) उर्वरकों और पोषक तत्वों का सिर्फ सात मिनट में छिड़काव कर सकते हैं.

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खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) खेतीबाड़ी की चर्चा करते हुए अक्सर इसमें अद्यतन तकनीक के प्रयोग और इसके प्रोत्साहन की बात करते हैं. तकनीक का प्रयोग हर तरह की खेती में काफी लाभकारी है. खेतीबाड़ी में ड्रोन तकनीक ऐसी ही एक अद्यतन तकनीक है. उत्तर प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे. ड्रोन के जरिये किसान एक एकड़ खेत में कीटनाशकों, वाटर सॉल्यूबल (पानी में घुलनशील) उर्वरकों और पोषक तत्वों का सिर्फ सात मिनट में छिड़काव कर सकते हैं. इससे समय एवं संसाधन तो बचेगा ही, मैनुअल छिड़काव से होने वाले संबंधित व्यक्ति को जहरीले रसायनों के खतरे से मिलने वाली सुरक्षा बोनस के रूप में होगी.

विषेषज्ञों के अनुसार पर्णीय छिड़काव (घोलकर किये जाने वाले छिड़काव) के और भी लाभ हैं. अगर यह ऊपर से हो तब तो और भी. मसलन मैनुअल छिड़काव की तुलना में ऊपर से किए जाने वाले छिड़काव से खेत समान रूप से संतृप्त होता है, जिस चीज का भी छिड़काव किया जाता है. वह पौधों में पत्तियों के जरिये ऊपर से नीचे तक जाता है. इसका असर भी बेहतर होता है. अब तो हर तरीके के पानी में घुलनशील खाद एवं पोषक तत्व भी अलग अनुपात में एक-एक किलो के पैकेट में उपलब्ध हैं. नैनो यूरिया भी उपलब्ध है. परंपरागत रूप से खेतों में जिस खाद का किसान छिड़काव करते हैं, उसका 15 से 40 फीसद ही फसल को प्राप्त होता है जबकि पानी के साथ छिड़के जाने वाले उर्वरक का करीब 90 फीसद तक फसल को प्राप्त होता है. इससे फसल की बढ़वार बेहतर होती है. नतीजतन उपज भी अच्छी होती है. श्रम, समय और लागत में कमी के बावजूद अच्छी उपज से किसानों की आय बढ़ जाती है. यह परंपरागत खाद के छिड़काव में लगने वाली लागत की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता भी है. सीमित संख्या में ही सही, उत्तर प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही अपनी खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से केंद्र सरकार की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को कुल 32 ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इनमें से 4 कृषि विश्वविद्यालयों को, 10 कृषि विज्ञान केंद्रों और बाकी 18 आईसीएआरआई (इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट) के संस्थानों को मिलेंगे. इनको खरीदने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 5 करोड़ 60 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त कर दी गई है. इनके जरिए प्रदेश भर में कुल 8 हजार हेक्टेयर भूमि पर डेमोंसट्रेशन कराया जाना है.

ड्रोन खेतीबाड़ी के उपयोग के लिए ये ड्रोन प्रदेश के कृषि स्नातकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर, कृषि उत्पादन संगठनों (एफपीओ) और कोऑपरेटिव सोसाइटीज को 40 फीसद अनुदान पर मिलेंगे. इस तरह किसी कृषि स्नातक को लगभग 10 लाख रुपए मूल्य के इस ड्रोन के लिए केवल 5 लाख रुपए चुकाने होंगे.

पिछले दिनों कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की मौजूदगी में सैकड़ों किसानों के समक्ष लखनऊ स्थित रहीमाबाद में ड्रोन का डिमोस्ट्रेशन देखा गया. तब कृषि मंत्री ने कहा कि इससे होने वाले लाभ के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए शीघ्र ही पूरे प्रदेश में इस तरह के डिमांस्ट्रेशन कराए जाएंगे.

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जल,जमीन और स्वास्थ्य के लिए सुरिक्षत है ड्रोन से छिड़काव: डॉ डीके सिंह
इफको के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. डीके सिंह के मुताबिक ड्रोन से उन फसलों में भी छिड़काव संभव है, जिनमें आकार बड़ा होने के नाते सामान्य तरीके से छिड़काव में दिक्कत आती है. साथ ही इन फसलों में छिड़काव करने वाला भी रसायन के दुष्प्रभाव से असुरक्षित होता है. मसलन गन्ना, अरहर आदि. नैनो यूरिया का छिड़काव बोआई के 30-40 दिन बाद जब खेत फसल से पूरी तरह आच्छादित होता है तब करते हैं, ड्रोन से जो छिड़काव होता है. उसके ड्रापलेट्स (बूंदे) बहुत महीन तकरीबन मिस्ट (ओस की बूंद) जैसी होती हैं. लिहाजा पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की तुलना में पानी भी प्रति एकड़ एक चौथाई (25 लीटर) ही लगता है. खड़ी फसल पर छिड़काव होने के नाते इसका असर जमीन तक नहीं पहुंचता लिहाजा यूरिया की लीचिंग (रिसाव) से जल, जमीन को होने वाली क्षति भी नहीं होती. नैनो यूरिया के साथ पानी में घुलनशील जितने तरह के उर्वरक हैं उनको भी फसल की जरूरत के अनुसार मिलाया जा सकता है.

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