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पुरानी पेंशन बहाली को लेकर यूपी में कर्मचारियों का कार्यबंदी का ऐलान, 9 दिसंबर तक सरकार को दी डेडलाइन

पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने 9 दिसंबर से कार्यबंदी का ऐलान किया है. उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की कार्यसमिति की तरफ से गुरुवार को बैठक कर यह फैसला लिया गया.

उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की कार्यसमिति की बैठक
उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की कार्यसमिति की बैठक

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Published : Dec 2, 2021, 8:13 PM IST

लखनऊ: पुरानी पेंशन बहाली को लेकर उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने 9 दिसंबर से अनिश्चितकालीन कार्य बंदी का ऐलान किया है. उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की कार्यसमिति की तरफ से गुरुवार को बैठक कर यह फैसला लिया गया. मोर्चा ने साफ किया है कि यदि प्रदेश सरकार समय रहते कर्मचारियों की मांगों पर विचार नहीं करती तो प्रदेश के लाखों कर्मचारी 9 दिसम्बर 2021 से कार्यबन्दी के लिए विवश होंगे और आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखाई देगा.


बता दें कि उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के प्रमुख घटक संगठनों की गुरुवार को लखनऊ नगर निगम में बैठक हुई. संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्र की मौजूदगी में हुई बैठक संपन्न हुई. इस दौरान स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद से सुरेश रावत व अतुल मिश्रा मौजूद रहे. साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य निगम कर्मचारी संघ, राजकीय नर्सेज संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन समेत कई घटक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे.

बैठक में कर्मचारियों की मांगों को लेकर अभी तक शासन की ओर से कोई सकारात्मक कदम न उठाए जाने को लेकर नाराजगी जताई गई. इसके चलते संयुक्त मोर्चा की तरफ से प्रदेश की सभी इकाइयों को निर्धारित कार्यक्रम के तहत आगे के आंदोलन के लिए तैयार रहने को कहा गया. जिसमें आवश्यक सेवाओं समेत सभी महत्वपूर्ण सेवाओं को पूरी तरह से बंद करने की तैयारी है.

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बता दें कि कर्मचारी संघों की पुरानी पेंशन की बहाली की मांग समेत कई मांगे हैं, जिसे लेकर कर्मचारी बीते कई सालों से आंदोलन कर रहे हैं. संयुक्त मोर्चा के मुताबिक वेतन समिति की संस्तुतियों पर मुख्य सचिव समिति की तरफ से सुनवाई करके मंत्री परिषद से निर्णय कराकर शासनादेश जारी न करने, कैशलेस इलाज, स्थानीय निकाय, राजकीय निगमों, विकास प्राधिकरण के पदों का पुनर्गठन करके राज्य कर्मचारियों की भांति सातवें वेतन आयोग का लाभ देने समेत कई मांगे हैं.

साथ ही घाटे के नाम पर निगमों के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ न देने वाले मामले पर कहा कि घाटे की जिम्मेदारी कर्मचारी की नहीं होती है. कर्मचारी केवल श्रम करता है. कहा कि शासन की तरफ से निर्णय को टाला जा रहा है. दिखावे के लिए कमेटियां गठित करके मांगों को लटका रहे हैं. जिससे विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने पर मांगे लंबित पड़ी रहें.

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