लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग में सोमवार को देश के एक बड़े निजी ग्रुप की तरफ से म्युनिसिपल कॉरपोरेशन गाजियाबाद और गौतम बुद्धनगर के लिए समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस की याचिका की स्वीकार्यता पर सुनवाई हुई. निजी ग्रुप की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय सेन के नेतृत्व में 12 वकीलों ने मोर्चा संभाला. विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने तर्क प्रस्तुत किए.
अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय सेन ने म्युनिसिपल कारपोरेशन गाजियाबाद व गौतम बुद्ध नगर के वितरण लाइसेंस की याचिका को स्वीकार करने की मांग उठाई. कहा कि अडाणी इलेक्ट्रिसिटी जेवर लिमिटेड और अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड वितरण लाइसेंस की याचिका को पूरी तरह क्वालीफाई करता है. इसलिए उसकी याचिका स्वीकार की जाए. साथ ही अपने तकनीकी व वित्तीय पैरामीटर पर भी बात रखी.
नियामक आयोग ने खारिज की बड़े निजी घराने की याचिका, जवाब दाखिल करने को कहा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने निजी ग्रुप की याचिका की खारिज करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
समानांतर वितरण लाइसेंस की याचिका को नियमों की परिधि में बताया. विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड पर तीखे सवाल करते हुए कहा इंडियन अकाउंट्स स्टैंडर्ड के प्रावधानों के अनुसार अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की देनदारियों ज्यादा है और नेटवर्थ कम है. ऐसे में इस पर अडानी ट्रांसमिशन जवाब दें. जहां अडानी की तरफ से वितरण लाइसेंस मिलने के बाद प्रोजेक्ट पर लगभग 4800 करोड़ खर्च करने की बात की जा रही है. वहीं, दूसरी ओर मुंबई में भी वितरण लाइसेंस मांगा गया है. ऐसे में अगर मुंबई में लाइसेंस प्राप्त हो जाएगा तो क्या अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड यहां के इन्वेस्टमेंट में कमी करेगा या कोई समझौता करेगा? उस दशा में कैसे प्रोजेक्ट वित्तीय पैरामीटर पर आगे बढ़ेगा? आयोग चेयरमैन ने अनेकों तकनीकी पहलुओं पर भी सवाल किया और वित्तीय पैरामीटर पर अनेकों मुद्दे सामने रखे. अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड को सभी बिंदुओं पर जवाब देने का निर्देश दिया.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड व अडानी जेवर इलेक्ट्रिसिटी की तरफ से समानांतर विद्युत वितरण के लिए दाखिल याचिका भारत सरकार की तरफ से जारी 28 नवंबर 2022 के नोटिफिकेशन में दिए गए प्रावधानों के पूरी तरह विपरीत है. इसे खारिज किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में परिभाषित किया गया है कि कोई भी किसी नगर निगम में आने वाला संपूर्ण क्षेत्र या तीन निकटवर्ती राजस्व जिले या कोई छोटा क्षेत्र जिसे समुचित सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो का वितरण लाइसेंस प्राप्त कर सकता है, लेकिन अडानी ग्रुप ने गाजियाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन और गौतमबुद्ध नगर के लिए वितरण लाइसेंस मांगा गया जो नोटिफिकेशन का उल्लंघन है.
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