लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) सधी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए बसपा विधानसभा के सुरक्षित सीटों पर खास फोकस कर रही है. प्रदेश की सुरक्षित 86 सीटें हर हाल में जीतने के लिए बसपा ने 'भाईचारा' वाला फार्मूला तय किया है.
इस फार्मूले के तहत इन विधान सभाओं में सम्मेलन करके परंपरागत दलित वोट के अलावा ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समाज का समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी मंडल संयोजकों को दी गई है. इसके साथ ही सुरक्षित सीटों पर शुक्रवार से बसपा का सम्मेलन शुरू हो गए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें बसपा का यह फार्मूला यदि वोटिंग मशीन तक कायम रहा तो तीन सौ से ज्यादा सीटों का दावा कर रहीं दूसरी पार्टियों का खेल बिगड़ सकता है.
सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी कमान
बसपा से ब्राह्मणों को जोड़ने की खास कवायद चल रही है, इसके लिए पार्टी प्रमुख मायावती ने राष्ट्रीय सचिव सतीश चंद्र मिश्रा को जिम्मेदारी सौंपी हैं. ब्राह्मणों को पाले में लाने के लिए शुक्रवार से सतीश चंद्र मिशन फिर से मैदान में उतर चुके हैं. पहले जिलों में गोष्ठी कर राजधानी में भीड़ जुटाकर अभियान का समापन किया. वहीं शुक्रवार से बिल्हौर, सफीपुर और मोहान सुरक्षित सीटों पर कार्यकर्ता सम्मेलन का आगाज किया गया. इसके बाद बसपा प्रमुख सुरक्षित सीटों का फीड बैक लेंगी.
2007 के चुनाव में बसपा हिट
बसपा ने 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के जरिए राज्य में बहुमत की सरकार बनाई थी. इस दरम्यान सुरक्षित सीटों पर दलित मतदाताओं के अलावा दूसरे समाज के वोटरों का भी बड़ा समर्थन मिला था. इसमें ब्राह्मणों का बसपा के पाले में आना प्रमुख रहा. अगर पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो सुरक्षित सीटों (84 एससी-2 एसटी) पर बसपा का प्रदर्शन मन मुताबिक नहीं रहा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में 86 सुरक्षित सीटों में से बसपा सीतापुर की सिधौली और आजमगढ़ की लालगंज सीट ही फतह कर सकी. इसमें से 70 सीटों पर अकेले बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.