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कल्याण सिंह कैंसर संस्थान को बर्बाद करने पर अमादा है योगी सरकार : कांग्रेस - कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान

कांग्रेस का आरोप है कि कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में पिछले तीन साल में 19 काबिल डाॅक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है. एक साल से अधिक समय से निदेशक की नियुक्ति नहीं की गई है. यूपी सरकार इस कैंसर संस्थान को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. इस संस्थान के बदहाली के लिए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक जिम्मेदार हैं.

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Published : Jul 28, 2023, 9:43 PM IST

कल्याण सिंह कैंसर संस्थान को बर्बाद करने पर अमादा है योगी सरकार. देखें खबर

लखनऊ :कल्याण सिंह कैंसर संस्थान को योगी आदित्यनाथ की सरकार खंडार करने पर आमादा है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को लेकर प्रदेश सरकार को रत्ती भर भी चिंता नहीं है. प्रदेश में बढ़ रहे कैंसर मरीजों के इलाज को लेकर सरकार घोर लापरवाही और संवेदनहीनता को प्रदर्शित कर रही है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम पर बने इस कैंसर सस्थान में उन्हीं के पार्टी के सरकार में घोर भ्रष्टाचार की जानकारी प्राप्त हो रही है. यह संस्थान बनाया गया था कि बेहतर इलाज हो सके, पर यह संस्थान आज खुद ही बुरे हालात से गुजर रहा है. इस संस्थान में कोई स्थाई डायरेक्टर नहीं है. एक साल से डायरेक्टर का पद रिक्त है. इस संस्थान ने डाॅक्टर को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है.

कल्याण सिंह कैंसर संस्थान.

यूपी कांग्रेस कमेटी के संगठन सचिव अनिल यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि योगी सरकार के कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान की बदहाली को लेकर कतई फिक्रमंद नहीं है. यही हाला यूपी की स्वास्थ्य सुविधा का है. अस्पतालों मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. कई स्पतालों में स्ट्रेचर तक नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों का समय से इलाज नहीं मिल रहा है. अनिल यादव ने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि कैंसर के 80 फीसदी मरीजों को ठीक समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. जिसका कारण है कि करोड़ों अरबों रुपये से अपना चेहरा चमकाने वाली प्रदेश सरकार को इस जन सरोकार के मुद्दे की कोई चिंता ही नहीं है. कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान की नियमावली है कि कोई भी कार्यवाहक निदेशक को 1 साल से अधिक समय तक अपने पद पर नहीं रह सकता. जबकि पिछले 1 साल 10 माह से पीजीआई के निदेशक आरके धीमान इस संस्थान के कार्यवाहक निदेशक हैं.

कल्याण सिंह कैंसर संस्थान.

अनिल यादव का आरोप है कि यूपी सरकार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. जिसका जीता जागता उदाहरण यह संस्थान है. इस संस्थान के नियमावली में साफ तौर पर कहा गया है कि संस्थान के डॉक्टरों और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान दिया जाएगा. इसके बावजूद संस्थान के कर्मियों को यह भी मिलना मुश्किल है. पिछले 3 साल में संस्थान के 19 डॉक्टर मजबूरी में यहां से इस्तीफा देकर दूसरे जगह चले गए हैं.

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