लखनऊ: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद यूपी प्रभारी के रूप में राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वह कोई खास कमाल नहीं दिखा पाईं.
क्या 2022 में चलेगा प्रियंका का जादू-
- प्रियंका गांधी को मिशन 2022 फतह करने के लिए कांग्रेस ने बड़ी जिम्मेदारी दी है.
- प्रियंका गांधी को पूरे यूपी का प्रभारी बनाया गया है.
- अभी तक प्रियंका गांधी केवल पूर्वी यूपी की प्रभारी थीं.
- पूरे यूपी का प्रभार मिलने के बाद प्रियंका पर जिम्मेदारी बढ़ गई है.
- प्रियंका गांधी को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
- प्रियंका गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2022 में यूपी का विधानसभा चुनाव है.
प्रदेश में कांग्रेस के किले को फिर से खड़ा करना
यूपी में प्रियंका गांधी के सामने पहली सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस पार्टी के ढह चुके किले को फिर से खड़ा करना है. 2014 लोकसभा चुनाव से कांग्रेस यूपी से खत्म होती जा रही है. 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यूपी में दो सीटें मिली थी. वहीं 2017 विधानसभा चुनाव में केवल सात सीटों से ही संतोष करना पड़ा. कांग्रेस की सबसे बड़ी फजीहत तो 2019 लोकसभा चुनाव में हुई, जहां पार्टी को केलव एक सीट पर जीत हासिल हुई.
बूथ स्तर पर खड़ा करना होगा संगठन
जिला मंडल और बूथ स्तर पर कांग्रेस को खड़ा करने की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के कंधों पर होगी. इन दोनों स्तर पर कांग्रेस खत्म हो चुकी है. जिला मंडल और बूथ स्तर पर कांग्रेस को खड़ा कर पाना प्रियंका गांधी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. बूथ स्तर पर कांग्रेस के खत्म होने के कारण ही शायद अन्य पार्टियों ने इसका फायदा उठाया. प्रियंका गांधी के सामने कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को एकजुट करना भी बड़ी चुनौती है.