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यूपी निकाय चुनाव: पैर में प्लास्टर का फोटो डालकर जताया BJP का टिकट न मिलने का दुख - बीजेपी महिला मोर्चा की नेता उमा मिश्रा

यूपी निकाय चुनाव (UP civic elections) में टिकट न मिलने का अफसोस (Contender disappointed over not getting BJP ticket) दावेदार अलग-अलग तरीके से जाहिर कर रहे हैं. महिला मोर्चा की नेता उमा मिश्रा ने पैर में चढ़े प्लास्टर का फोटो सोशल मीडिया पर डाल कर बीजेपी का टिकट न मिलने पर दुख जताया.

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बीजेपी महिला मोर्चा की नेता उमा मिश्रा

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Published : Apr 26, 2023, 8:19 AM IST

लकनऊ: यूपी निकाय चुनाव (UP civic elections) में पिछले करीब पांच साल से पार्षद पद पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेता, जो टिकट से वंचित रह गए भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बनेंगे. हर वार्ड में कम से कम पांच ऐसे नेता हैे, जो भाजपा का टिकट चाहते हैं. मगर भाजपा केवल एक व्यक्ति को टिकट दे सकती है. ऐसे में बागियों को संभालना बड़ी चुनौती होगा. वैसे बाकी नेताओं के लिए सख्त नियम बनाए जाते हैं, मगर चुनाव बाद किसी पर कार्रवाई नहीं होती.

ऐसे में 200, 400 और 500 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशियों को कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ेगा. लखनऊ शहर में ही भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेता अलग अलग तरीके से अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं. कोई वर्तमान उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहा है. तो कोई सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है.

ऐसे ही त्रिवेणी नगर वार्ड से टिकट की इच्छुक बीजेपी महिला मोर्चा की नेता उमा मिश्रा (BJP Mahila Morcha leader Uma Mishra) ने एक मार्मिक पोस्ट फेसबुक पर किया है. इसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव के अभियान के दौरान अपने पैर में फ्रैक्चर होने की व्यथा सुनाई है. इंदिरा नगर में भाजपा के निवर्तमान पार्षद दिलीप श्रीवास्तव अपने ही उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. मलाही टोला वार्ड 1 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ यहां से निवर्तमान पार्षद के पुत्र अनुराग पांडे चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव से पहले तक अनुराग पांडे भाजपा के सक्रिय सदस्य थे. इसी तरह से कभी कार्यवाहक महापौर रहे सुरेश चंद अवस्थी भी अपने ही उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.


फेसबुक पर उमा मिश्रा ने यह लिखा: मार्च 2022 यह समय किसी को याद है क्या. उत्तर विधानसभा की महिला प्रमुख बनाए जाने पर चुनाव प्रचार करते करते जब ब्लड प्रेशर डाउन होने जाने के बावजूद भी पूरा विधानसभा चुनाव लड़ा कर जीत की खुशी मना कर दम दिया. उसी बीच लड़खड़ा कर गिरने से पैर टूटा. 2 महीने प्लास्टर लगा रहा. 4 महीने और चलने में तकलीफ बनी रही. पूरे 6 महीने बाद ठीक से चल पाना हुआ.

पैर का तो टूटना कष्टकारी नहीं रहा क्योंकि निष्ठावान और समर्पित बीजेपी कार्यकर्ता जो ठहरी. पर मन का टूटना और मनोबल का तोड़ना मेरी और मेरी जैसी तमाम महिला कार्यकर्ताओं की उर्जा का दुरुपयोग होना है. बड़े नेताओं की पत्नियों को टिकट देना अत्यंत ही कष्टकारी है. इस पीड़ा को कोई पीड़ित कार्यकर्ता ही समझ सकता है. अपनी उन सभी बड़ी छोटी बहनों जिनके साथ संगठन में रहकर अभी तक के राजनीतिक जीवन में कार्य करने का अनुभव और सहयोग रहा है पार्टी को सत्ता में लाने में जिन बहनों का अनुकरणीय योगदान रहा है. उन सभी बहनों का हृदय की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद तथा सादर आभार. कृपया सभी बहनें धैर्य बनाए रखें, भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं है.

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