लखनऊ : राजधानी में अवधी संस्कृति के दर्शन कराता हुआ शनिवार से अवध महोत्सव धूमधाम से शुरू हुआ. 22 मार्च तक चलने वाले इस महोत्सव में अवधी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से रूबरू होने के मौका मिलेगा. नई पीढ़ी और युवाओं को लिए तो यह एक सुनहरा अवसर है कि वे अपने क्षेत्र की मूल संस्कृति को देख और समझ पाएंगे. पौराणिक काल से जैसे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, वृदांवन का क्षेत्र व्रज क्षेत्र कहलाता था, इसी प्रकार से प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या के आसपास का क्षेत्र अवध क्षेत्र कहलाता था. यहां की अपनी बोली-बानी, पहनावा है, खान-पान और संगीत सभी जगहो से निराला है. इसी संस्कृति को दर्शाते हुए अवध महोत्सव का आयोजन उ.प्र. पर्यटन विभाग एवं संगीत नाटक अकादमी की ओर से किया गया है. महोत्सव का न्योता सबको भेजा गया है, आइये, हो सके तो अवधी परिधान में आइए, आपको आपको मंच पर सम्मानित होने का मौका भी मिल सकता है. इस अवसर पर शतरंज, कठपुतली शो व पंतगबाजी की प्रतियोगिताएं हुईं.
इससे पहले मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहाकार अवनीश अवस्थी ने दीप प्रज्जवलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया. इस अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, विशेष सचिव, संस्कृति, आनंद कुमार व अकादमी के निदेशक तरूण राज भी उपस्थित थे. सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत कानपुर की गायिका डाॅ. मेनका मिश्रा के सुगम गायन हुई. उन्होंने भगवान श्रीराम को नमन करते हुए गाया कि ’ऐसे हैं मेरे राम....गाया. नोएडा की कलाकार माया कुलश्रेष्ठ और उनके साथियों ने नृत्य नाटिका ’कृष्णा एक रक्षक ’ से की. इसके बोल थे ऐरी सखी, कौन है बतलाऊं...इसमें उन्होंने राधा मीरा और द्रोपदी के तीनों के प्रेम को दिखाया. माया ने इसको रचा भी इसकी कोरियोग्राफी की है. इसके बाद लखनऊ के गायक किशोर चतुर्वेदी ने भजन अच्युतम् केशवम्, कृष्ण दामोदरम् से की. इसके बाद उन्होंने अवधी भजन ऐरी सखी मंगल गावरी... गाकर सबको भाव विभोर कर दिया.