लखनऊ: विधानसभा तक पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी किसी बड़े दल से टिकट का मिलना है और इसे हासिल करना ही पहली कामयाबी है. लेकिन ऐसे में अगर एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट मिल जाए तो ये दोनों हाथों में लड्डू की तरह है. वहीं, इसके लिए कई परिवारों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी और उन्होंने आखिरकार दो-दो टिकट हासिल भी कर लिए. हालांकि, कुछ ने तो खुद की टिकट कटता देख अपने परिवार के किसी और सदस्य की टिकट पक्की करा ली. विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे वकार अहमद शाह के बेटे यासिर शाह भाजपा की पिछली लहर में बहराइच की इकलौती मटेरा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर जीते थे. इस बार वो अपनी पत्नी के लिए भी टिकट चाह रहे थे. लेकिन ऐन समय पर सपा ने उनकी सीट ही बदल दी और उन्हें बहराइच सदर से प्रत्याशी बना दिया. खैर, उनकी जगह पार्टी ने जिसे मटेरा से प्रत्याशी बनाया वो वहां से चुनाव लड़ने से पीछे हट गया. क्योंकि उसे कहीं और से टिकट चाहिए था. आखिरकार सपा ने यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह को वहां से बतौर उम्मीदवार मैदान में उतार दिया. अब पति-पत्नी अगल-बगल की सीट से लड़ रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस के टिकट पर उर्मिला सोनकर जालौन की उरई विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं. वो पूर्व पीसीएस अधिकारी व मौजूदा जिला पंचायत सदस्य हैं. उनकी उम्मीदवारी आने के कुछ समय बाद कांग्रेस ने उनके पति व पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी को महरौनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया. बता दें कि ब्रजलाल कांग्रेस के पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं.
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मां-बेटी, और मां-बेटा भी मैदान में
अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनकी बेटी पल्लवी पटेल सिराथू विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला सूबे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से है. हालांकि खास बात यह पल्लवी सपा के सिंबल पर चुनावी मैदान में हैं. ठीक इसी तरह समाजवादी पार्टी ने अपने एक और सहयोगी पार्टी महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य के परिवार के दो लोगों को अपनी पार्टी से लड़ाया है. फर्रुखाबाद सदर विधानसभा सीट से केशव देव की पत्नी व पार्टी उपाध्यक्ष सुमन मौर्य भी चुनाव लड़ रही हैं, वहीं उनका बेटा प्रकाश चंद्र मौर्य बिल्सी विधानसभा से मैदान में हैं.