लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बीच भाजपा नेता अमित शाह के एक बयान ने नई सियासत गरमा दी है. एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है. मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा. इस बयान का बसपा प्रमुख मायावती ने भी स्वागत किया. वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन बयानों के कई मायने हैं. इसके लिए ईटीवी भारत ने बात की लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व दलित चिन्तक रविकांत से...
रविकांत कहते हैं कि अमित शाह के बयान का एक पक्ष दलितों से सहानुभूति बटोरना भी है. उन्होंने ऐसा संदेश इसलिए दिया कि दलित बीजेपी को बसपा के करीब समझें. जहां बसपा का प्रत्याशी न जीत रहा हो, दलित भाजपा को वोट कर दे. इससे बसपा को नुकसान हो सकता है. रविकांत के मुताबिक, बीजेपी को लग रहा है कि यूपी में बाइपोलर चुनाव मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबला सत्ता की राह आसान करेगा. इसलिए मायवती को जमीनी स्तर पर मजबूत बताया, ताकि उनका वोट बसपा को कमजोर समझकर सपा में जाने के बजाए उन्हीं को दे.
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