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UP विधानसभा चुनाव-2022 : 30 नवंबर को अखिलेश के गढ़ में गरजेंगे जेपी नड्डा, BJP के लिए बेहद अहम है ये सीट

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी. 30 नवंबर को पूर्वांचल की कमजोर सीटों पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का रहेगा फोकस. चुनावी नजर से बेहद अहम है अखिलेश यादव का गढ़ आजमगढ़.

आजमगढ़ में गरजेंगे जेपी नड्डा
आजमगढ़ में गरजेंगे जेपी नड्डा

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Published : Nov 24, 2021, 5:46 PM IST

लखनऊ: आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आगामी वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly election) को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है. ऐसे में सभी दल जोर-शोर से चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं.

इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) 30 नवंबर को पूर्वांचल की कमजोर सीटों पर समीकरण साधेंगे. उनकी पहली जनसभा अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के गढ़ आजमगढ़ में होगी जहां वे भाजपा की बात करेंगे.

UP विधानसभा चुनाव-2022 : 30 नवंबर को अखिलेश के गढ़ में गरजेंगे जेपी नड्डा, BJP के लिए बेहद अहम है ये सीट

नहीं है आजमगढ़ व उसके पास के जिलों में BJP की बेहतर स्थिति

जेपी नड्डा की यह जनसभा चुनावी नजर से बेहद अहम है जहां आजमगढ़ व उसके आसपास के जिलों में अभी भी भाजपा की स्थिति बेहतर नहीं बताई जा रही है. इसलिए जेपी नड्डा चुनाव से पहले भाजपा का समीकरण साधने का प्रयास करेंगे.

आजमगढ़ एक ऐसा जिला है जहां भाजपा का प्रदर्शन लहर के बावजूद खासा कमजोर रहा है. इस जिले की 10 विधानसभा सीटों में से नौ पर भाजपा को 2017 में हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में पार्टी इस बार यहां बेहतर प्रदर्शन करके न केवल अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है बल्कि सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए भी एक बड़ी चुनौती खड़ा करना चाहती है.

यहां खाली है भाजपा का खाता

आजमगढ़ में 2 संसदीय सीट हैं. इसमें से एक आजमगढ़ व दूसरी लालगंज संसदीय सीट है. दोनों ही भाजपा के खाते में नहीं हैं. इसी तरह से 2017 में भाजपा की जबरदस्त लहर में पार्टी और उसके गठबंधन में प्रदेश में कुल 325 सीटों पर जीत हासिल की थी.

इसमें अकेले भाजपा ने 311 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके बावजूद पार्टी के सामने बड़ा सवाल यह है कि 78 सीटों पर उसको जीत हासिल क्यों नहीं हुई जो की लहर में वह पा सकती थी. ऐसे में नड्डा का आजमगढ़ का दौरा बहुत अहम साबित हो सकता है. आजमगढ़ को भाजपा में करने के लिए यह जनसभा का आधार बन सकती है.

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यहां खड़े हैं अखिलेश यादव व दुर्गा प्रसाद यादव जैसे मजबूत नेता

आजमगढ़ में सपा के पास अखिलेश यादव के अलावा आजमगढ़ सदर की सीट पर दुर्गा प्रसाद यादव जैसे मजबूत नेता हैं जो किसी भी लहर में लगातार सपा को सीट पर जीत दिलाते आ रहे हैं.

इसी तरह मुबारकपुर सरायमीर लालगंज और अन्य सीटों पर भी भाजपा को मुसीबतों का सामना करना पड़ा है. ऐसे में इस अति महत्वपूर्ण जिले को जीतने का लक्ष्य भाजपा ने इस बार तय किया है.

भाजपा ने बनाया विशेष प्लान

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि कमजोर सीटों के लिए पार्टी ने इस बार विशेष प्लान बनाया है. इस पर अमल हो रहा है. नेताओं की विशेष ड्यूटी सीटों पर लगाई गई है. कहा, 'जहां तक बात आजमगढ़ की है तो वहां पर हमारी सरकार काम कर रही है.

राज्य सरकार का एक विश्वविद्यालय वहां बनने जा रहा है. आजमगढ़ के काली मिट्टी के बर्तनों को एक नई पहचान दी जा रही है. आजमगढ़ की पहचान अब पिछली सरकारों की तरह आतंकवाद को लेकर नहीं रही है. इसलिए निश्चित ही हम वहां पर इस बार विजय प्राप्त करेंगे'.

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