लखनऊ: आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आगामी वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly election) को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है. ऐसे में सभी दल जोर-शोर से चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं.
इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) 30 नवंबर को पूर्वांचल की कमजोर सीटों पर समीकरण साधेंगे. उनकी पहली जनसभा अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के गढ़ आजमगढ़ में होगी जहां वे भाजपा की बात करेंगे.
नहीं है आजमगढ़ व उसके पास के जिलों में BJP की बेहतर स्थिति
जेपी नड्डा की यह जनसभा चुनावी नजर से बेहद अहम है जहां आजमगढ़ व उसके आसपास के जिलों में अभी भी भाजपा की स्थिति बेहतर नहीं बताई जा रही है. इसलिए जेपी नड्डा चुनाव से पहले भाजपा का समीकरण साधने का प्रयास करेंगे.
आजमगढ़ एक ऐसा जिला है जहां भाजपा का प्रदर्शन लहर के बावजूद खासा कमजोर रहा है. इस जिले की 10 विधानसभा सीटों में से नौ पर भाजपा को 2017 में हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में पार्टी इस बार यहां बेहतर प्रदर्शन करके न केवल अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है बल्कि सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए भी एक बड़ी चुनौती खड़ा करना चाहती है.
यहां खाली है भाजपा का खाता
आजमगढ़ में 2 संसदीय सीट हैं. इसमें से एक आजमगढ़ व दूसरी लालगंज संसदीय सीट है. दोनों ही भाजपा के खाते में नहीं हैं. इसी तरह से 2017 में भाजपा की जबरदस्त लहर में पार्टी और उसके गठबंधन में प्रदेश में कुल 325 सीटों पर जीत हासिल की थी.
इसमें अकेले भाजपा ने 311 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके बावजूद पार्टी के सामने बड़ा सवाल यह है कि 78 सीटों पर उसको जीत हासिल क्यों नहीं हुई जो की लहर में वह पा सकती थी. ऐसे में नड्डा का आजमगढ़ का दौरा बहुत अहम साबित हो सकता है. आजमगढ़ को भाजपा में करने के लिए यह जनसभा का आधार बन सकती है.
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