लखनऊ: प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह के वीआरएस को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. अब माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में राजेश्वर सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. यही नहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी राजेश्वर को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बना सकती है. उन्होंने इस्तीफा स्वीकार होने के बाद एक सार्वजनिक पत्र जारी कर बीजेपी के प्रति अपने लगाव का भी जिक्र किया है.
राजेश्वर सिंह ने अपने 24 साल के सेवाकाल में 10 साल उत्तर प्रदेश पुलिस और 14 साल प्रवर्तन निदेशालय में सेवा दी है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 2-जी स्पैक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला और गोमती रिवरफ्रंट घोटाला जैसे कई हाईप्रोफाइल मामलों की जांच की है.
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राजेश्वर सिंह 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं और यूपी के सुलतानपुर जिले के पखरौली के मूल निवासी हैं. राजेश्वर की पत्नी लक्ष्मी सिंह आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में लखनऊ रेंज आईजी हैं. लखनऊ में तैनाती के दौरान राजेश्वर को इनकाउन्टर स्पेशलिस्ट कहा जाता था. साल 2009 में वे प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले गए थे. ईडी में तैनाती के दौरान उन्होंने कांग्रेस की नाक में दम कर रखा था. उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले, कोयला घोटाले, कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम जैसे केस की जांच में शामिल रहे हैं.
इस चुनाव के दौरान कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे पूर्व आईपीएस असीम अरुण के बाद राजेश्वर सिंह दूसरे अधिकारी हैं, जिन्होंने 11 साल की नौकरी शेष होने के बाद भी वीआरएस लेकर राजनीति में प्रवेश लिया है. फिलहाल सूत्रों के मुताबिक, राजेश्वर सुलतानपुर सदर से चुनाव लड़ सकते हैं. इसके लिए वे तैयारियां भी कर रहे हैं.
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