लखनऊ : एक तरफ संगठन सृजन अभियान चलाकर कांग्रेस पार्टी नए लोगों को अपने साथ जोड़कर, यूपी में 32 साल का बनवास समाप्त करने की जुगत में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अपने ही 'हाथ' छोड़कर जा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललितेश पति त्रिपाठी के इस्तीफे से, पूर्वांचल के औरंगाबाद हाउस में सेंध लगने के बाद अब पश्चिम में भी पार्टी के बड़े नेता कांग्रेस को झटका दे सकते हैं.
चर्चा तेज हो गई है कि सहारनपुर के दो बड़े नेता जल्द ही 'हाथ' छोड़कर किसी और पार्टी का साथ पकड़ सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए यह चिंता का सबब बनता जा रहा है कि अपनों को कैसे रोका जाए. हालांकि ललितेश पति त्रिपाठी को मनाने की कोशिश भी आलाकमान की तरफ से शुरू हो गई है. पार्टी को लगता है कि अगर ललितेश कांग्रेस से जाते हैं तो इसका संदेश भी यूपी में गलत ही जाएगा और पार्टी को नुकसान होगा. ललितेश के साथ ही अन्य नेता भी जो पार्टी से जाना चाहते हैं उन्हें भी समझाने बुझाने में नेता लग गए हैं.
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टूटी है कई पीढ़ियों की परंपरा
कांग्रेस पार्टी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि पिछली चार पीढ़ियों से जो घराना पार्टी के साथ साए की तरह लगा हुआ है, चौथी पीढ़ी में वह भी बिखर जाएगा. ललितेश पति त्रिपाठी के इस्तीफे की उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि दिल्ली तक इसे लेकर चर्चा है. पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ललितेश पति त्रिपाठी का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है, बल्कि उन्हें मिलने का समय दिया है. ऐसे में अब भी कांग्रेस को उम्मीद है कि ललितेश पति त्रिपाठी हाथ छोड़कर नहीं जाएंगे.