लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने उत्तर प्रदेश में होने वाले 12 विधानसभा के उपचुनाव में प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. खासकर समाजवादी पार्टी 2018 में उपचुनाव में कई सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदली बदली नजर आ रही हैं. समाजवादी पार्टी बीएसपी से गठबंधन के बावजूद लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के कारण सपा और बसपा का गठबंधन टूट गया. ऐसे में अब दोनों की राहें जुदा होने के बाद अखिलेश यादव के सामने समाजवादी पार्टी के कोर यादव मुस्लिम वोट पाना बड़ी चुनौती बनी हुई है.
लखनऊ: उपचुनाव बने अखिलेश यादव के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न, यादव-मुस्लिम वोटर्स पार लगाएंगे नैया!
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के रास्ते अलग हो गए हैं. ऐसे में अब आगामी उपचुनाव सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. सपा का परंपरागत यादव-मुस्लिम समीकरण है, जिसके सहारे वह चुनाव मैदान में उतरेगी.
12 विधानसभा सीटों के लिए के लिए यूपी में उपचुनाव होगा.
मायावती ने सपा पर लगाए थे गंभीर आरोप...
- उत्तर प्रदेश में होने वाले 12 सीटों के उपचुनाव को लेकर सभी तैयारियां शुरू कर दी हैं.
- खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन टूट गया है.
- मायावती ने समाजवादी पार्टी पर यह आरोप लगाते हुए गठबंधन से किनारा कर लिया कि समाजवादी पार्टी अपने ही गढ़ में चुनाव हार गई.
- बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के नेताओं ने चुनाव हरवा दिया, जिसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गई.
अखिलेश के सामने ये हैं चुनौतिया...
- अखिलेश यादव के सामने लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की वापसी कराना बड़ी मुसीबत है.
- सपा अध्यक्ष को अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को भी मना पाना एक बड़ा कारण है.
- अखिलेश यादव किस प्रकार से अपनी रणनीति बनाते हैं और उपचुनाव जीतने में सफल हो पाते हैं यह देखना होगा.