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लखनऊ: डॉक्टरों ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के फेफड़े से जमा रक्त निकाला

रायबरेली में सड़क दुर्घटना में घायल उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता और उसके वकील की हालत गंभीर बनी हुई. दोनों का इलाज किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर मे किया जा रहा है. पीड़िता अभी भी बेहोशी की हालत में हैं.

केजीएमयू के बाहर तैनात पुलिसकर्मी.

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Published : Aug 3, 2019, 10:42 AM IST

लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में बीते दिनों एक्सीडेंट के बाद घायल हुई दुष्कर्म पीड़िता की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. डॉक्टरों ने ऐसे में उसके फेफड़े से जमा रक्त बाहर निकाल दिया है. वहीं वेंटिलेटर पर से वकील को भी हटा दिया गया है.

पीड़िता और वकील की हालत गंभीर.

पीड़िता और वकील की हालत गंभीर

  • सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुष्कर्म पीड़िता ट्रॉमा सेंटर में भर्ती है.
  • अभी तक पीड़िता की हालत गंभीर बनी हुई है.
  • ट्रॉमा सेंटर के प्रवक्ता डॉक्टर संदीप तिवारी ने बताया कि पीड़िता के शरीर के अंदर भी रक्त स्राव हो रहा है.
  • पिल्यूरल कैविटी में करीब 150 एमएल रक्त जम गया था, जिससे संक्रमण का खतरा था.
  • डॉक्टरों ने पाइप डालकर जमा रक्त बाहर निकाल दिया है.
  • चोट लगने से पीड़िता के शरीर में लगभग ढाई लीटर खून बह गया था.
  • ऐसे में रक्त की मात्रा कम हो गई थी.
  • पीड़िता को चार यूनिट ब्लड, 4 यूनिट प्लाज्मा और दो यूनिट प्लेटलेट्स दी गई है.

बेहोशी है चिंता का कारण

  • पीड़िता के मुंह से वेंटिलेटर के इंडोर ट्रैकीज ट्यूब हटा दी गई है.
  • पीड़िता के गले के पास चीरा लगाकर ट्रेकियोस्टॉमी की गई है, जहां से सीधे वेंटीलेटर ट्यूब लगाई गई है.
  • पीड़िता को बेहोशी से बाहर लाने का प्रयास किया जा रहा है.
  • बेहोशी का कारण सिर में छुपी हुई बीमारी भी हो सकती है.
  • सिर की चोट डिफ्यूज एक्सनल इंजरी सिटी स्कैन में पकड़ में नहीं आती.

ग्लास्गो कोमा स्केल का स्कोर सात

ट्रॉमा सेंटर में ट्रॉमा सर्जरी के डॉक्टर समीर मिश्रा के मुताबिक मरीज की स्थिति का आकलन ग्लास्गो कोमा स्केल के आधार पर किया जाता है. इसके तीन कंपोनेंट होते हैं. इसमें एम यानी कि मरीज का मूवमेंट, ई यानी कि आई और व यानी कि वॉइस. इसके आधार पर पीड़िता में एम स्टेज 4, ई का दो, वी का स्टेज वन मिला है. ऐसे में जीपीएस का स्कोर सात हुआ है. सामान्य मरीज में 15, अति गंभीर में यह तीन रहता है. इसकी वजह से डॉ. पीड़िता की हालत को लेकर चिंतित हैं और इसको बेहतर करने का प्रयास डॉक्टरों की टीम द्वारा लगातार किया जा रहा है.

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