लखनऊः उत्तर प्रदेश का सबसे वीवीआईपी इलाका लखनऊ का महात्मा गांधी वार्ड (Mahatma Gandhi Ward Lucknow) है. विधानसभा जीपीओ से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय भी इसी वार्ड में आता हैं. यहां उत्तर प्रदेश के विकास की चर्चाएं भी होती हैं. प्रदेश के टॉप ब्यूरोक्रेट्स, मंत्री, विधायक, नेता सब यहीं मिलते हैं. इस वीवीआईपी इलाके की यह तस्वीर तो पूरा प्रदेश देख रहा है, लेकिन आज हम आपको इस सिक्के के दूसरे पहलू से रूबरू कराने जा रहे हैं.
लखनऊ नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam ) के महात्मा गांधी वार्ड की जनसंख्या करीब 24 हजार की है. 2017 के चुनाव में 18,572 मतदाता थे. यह मतदाता जिस इलाके में रहते हैं, वहां की तस्वीर बेहद अलग है. प्रदेश में विकास की बातें जरूर हो रही हैं लेकिन, जहां प्रदेश के मुखिया बैठते हैं, वहीं का इलाका विकास से कोसों दूर है.
यहां के लोगों को पीने का साफ पानी, सीवर लाइन जैसे सामान्य सी व्यवस्थाओं से नहीं मिल पा रहा है. स्थानीय पार्षद अमित कुमार चौधरी का कहना है कि उन्होंने पार्षद बनने के बाद करीब पांच ट्यूबवैल लगवाए लेकिन, यह समस्या का स्थाई हल नहीं है. मेट्रो प्रोजेक्ट आने के बाद वाटर लेवल और भी नीचे चला गया. उन्होंने बताया कि इस इलाके की सीवर लाइन और वाटर लाइन अंग्रेजों के जमाने की है. रोज गंदे पाने की आपूर्ति की शिकायतें आती हैं. उन्होंने बताया कि वह 2017 में इस इलाके के पार्षद चुने गए थे. पार्षद बनने के लिए 700 मीटर से एक किलोमीटर लम्बी सीवर लाइन डलवाई. उससे पहले नालियों में सीवर बहा करता था.
मुख्यमंत्री तक सी लगाई गुहार, पर नहीं बनी बात
पार्षद ने बताया कि उनकी तरफ से इस वार्ड के विकास को लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई गई. वह शिकायत लेकर मिलने भी पहुंचे. मुख्यमंत्री ने भी इसको संज्ञान में लिया. तत्काल कार्रवाई के लिए अधिकारियों को पक्ष भी भेजे, लेकिन अधिकारियों ने बजट न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि इस इलाके का विकास न हो पाने के पीछे सबसे बड़ा कारण अधिकारियों की लापरवाही है.