लखनऊ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) देेशभर के डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया के लिए पीएचडी की डिग्री की अनिवार्यता समाप्त किए जाने के बाद से अभ्यर्थियों में इसको लेकर काफी उत्साह है. अब उच्च शिक्षा आयोग सहायक प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए हर विषय के अभ्यर्थियों को बराबर का मौका मिल जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में पीएचडी की अनिवार्यता होने से विज्ञान व कला विषय में पीएचडी कर रहे अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में बराबर के अवसर मिलेंगे.
विज्ञान व कला विषय के अभ्यर्थियों के लिए बेहतर मौका : यूजीसी के विशेषज्ञ व लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर मौलेन्दु मिश्रा ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग से होने वाले सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में इस नियम के कारण काफी विलंब होता था. विशेष तौर पर विज्ञान व कला विषय के लिए शिक्षकों के चयन में पीएचडी की अनिवार्यता होने से कम संख्या में अभ्यर्थी आवेदन कर पाते थे. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण है इन विषयों में पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या काफी कम होती है. उन्होंने बताया कि विज्ञान व कला विषय से पीएचडी करने वाले छात्र जो टॉपिक चुनते हैं उनमें निर्धारित समय से अधिक समय पीएचडी शोध पूरा करने में समय लगता है. जिस कारण से इस विषय के छात्र निर्धारित आयु वर्ग से अधिक हो जाने के कारण शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के लिए योग्य नही हो पाते हैं.