लखनऊ:राजधानी में लगातार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ऐसे में मरीजों को ठीक करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया प्लाज्मा डोनेशन के लिए लोग आगे आ रहे हैं. कोरोना वायरस को मात देकर अपने घरों को लौटे व्यक्ति केजीएमयू में प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं.
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में 24 जून को कोरोना से ठीक हुए दो युवकों ने प्लाजमा डोनेशन किया. इनमें से एक युवक ने एक महीने के अंदर दूसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया है. केजीएमयू में यह 10वां प्लाज्मा डोनेशन है. इस अवसर पर केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने प्लाज्मा डोनेट करने वाले कोरोना सर्वाइवर के बारे में कहा कि केजीएमयू के भविष्य में इन्हें प्रेरणा स्रोत के रूप में जाना जाएगा.
यह होती है प्रक्रिया
कुलपति ने कहा कि प्लाज्माफरेसिस की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित और हानि रहित होती है. इस प्रक्रिया में डोनर का ब्लड प्लाज्माफरेसिस मशीन में डाला जाता है और सिर्फ वही रक्त प्रयोग में लाया जाता है, जिसमें कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी मौजूद होती है. एक आम इंसान में सामान्य तौर पर 5 से 6 लीटर रक्त होता है. इस प्रक्रिया में सिर्फ 400 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा ही लिया जाता है. साथ ही रक्त का अवशेष भाग प्लाज्माफेरेसिस मशीन से दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचा दिया जाता है.