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टीबी से लड़ाई: इटावा और झांसी जनपद में खोली जाएंगी दो नई कल्चर एंड ड्रग सेंसिटीविटी लैब

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Published : Jun 24, 2021, 10:31 AM IST

प्रदेश में जल्दी ही दो नई कल्चर एंड ड्रग सेंसिटीविटी लैब खोली जाएगी. प्रदेश में अभी तक नौ कल्चर एंड ड्रग सेंसिटीविटी लैब संचालित हैं. कल्चर एंड ड्रग सेंसिटिविटी लैब खुल जाने से दवा का बैक्टीरिया पर सेंसिटीविटी का समय पर पता किया जा सकेगा.

टीबी से लड़ाई
टीबी से लड़ाई

लखनऊ: राज्य में टीबी (tubercle bacillus) को लेकर भी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार मरीजों को समय पर सटीक दवा मुहैया कराने के लिए संसाधनों को बढ़ा रही है. इसी क्रम में सरकार राजधानी में दो नई कल्चर एंड ड्रग सेंसिटीविटी लैब (culture and drug sensitivity lab ) खोलने जा रही है.

प्रदेश में वर्तमान में टीबी (tubercle bacillus) के एक लाख 80 हजार एक्टिव मरीज हैं. इसके अलावा 15 हजार मरीज ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (drug resistance tb) के हैं. इन सभी का नजदीकी डॉट्स सेंटर, डॉट्स प्लस सेंटर पर इलाज चल रहा है. मगर, टीबी की दी जा रहीं दवाओं में कौन सी बैक्टीरिया पर रजिस्टेंस हो रही है. टीबी मरीजों पर किस दवा का प्रभाव अधिक हो रहा है. बैक्टीरिया कितना आक्रामक हो चुका है. इसकी समय-समय पर जांच की जाती है और जांच के परिणाम के आधार पर मरीजों का इलाज कर टीबी के बैक्टीरिया को जल्द परास्त किया जा सकता है. ये सारी जांच कल्चर एंड ड्रग सेंसिटिविटी लैब में की जाती हैं. इसके लिये सरकार ने राज्य में दो नई कल्चर एंड ड्रग सेंसिटिविटी लैब खोलने जा रही है. कल्चर एंड ड्रग सेंसिटिविटी लैब खुल जाने से मरीजों का जांच का इंतजार कम होगा.

राज्य क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ संतोष कुमार गुप्ता
इन जनपदों में खुलेंगी लैब
राज्य क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ संतोष कुमार गुप्ता के मुताबिक, प्रदेश के इटावा और झांसी जनपद में कल्चर एंड ड्रग सेंसिटीविटी लैब खुलेंगी. वर्तमान में प्रदेश में नौ कल्चर एंड ड्रग सेंसिटीविटी लैब संचालित हैं. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तीन, आगरा में एक, वाराणसी में एक, अलीगढ़ में एक, मेरठ में एक, गोरखपुर में एक और बरेली में एक लैब संचालित है. राज्य क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि अभी प्रदेश में दो नई लैब खोली जाएंगी, इसके अलावा भी लैब का नेटवर्क बढ़ाया जाएगा, ताकि मरीजों की दी जाने वाली दवा का बैक्टीरिया पर सेंसिटीविटी का समय पर पता किया जा सके.

प्रदेश में टीबी की जांच और इलाज की सुविधाएं

  • सीबी नेट मशीन-145
  • ट्रू नेट मशीन-451
  • कल्चर लैब-09
  • माइक्रोस्कोपिक लैब-2100
  • नोडल ड्रग रेजिस्टेंस सेंटर-22
  • डॉट्स सेंटर-12,000



टीबी के प्रकार
टीबी (tubercle bacillus) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होता है. इसको तपेदिक, क्षय रोग आदि नामों से भी जाना जाता है. टीबी के दो प्रकार हैं. पहला- पल्मोनरी टीबी और दूसरा- एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी. पल्मोनरी टीबी फेफड़ों में होती है. वहीं एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के दूसरे अंगों में होती है.

ड्रग रेजिस्टेंस टीबी
दरअसर जब टीबी मरीजों के इलाज में देरी हो जाती है और इलाज के दौरान नियमित दवाएं न लेने पर बैक्टीरिया में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में दवाएं असरहीन हो जाती हैं. जिसके बाद अलग-अलग एंटीबायोटिक दवाएं लेने से भी जीवाणुओं पर दवा का असर नहीं होता. ऐसे में टीबी कोड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहा जाता है.

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टीबी के लक्षण
शारीरिक कमजोरी, थकान, दर्द, भूख न लगना और वजन में कमी, हल्का बुखार, लसिका ग्रंथियों में सूजन टीबी के सामान्य लक्षण हैं. फेफड़ों के टीबी में सांस लेने में मरीज को तकलीफ, सीने में दर्द, लगातार खांसी, इसके साथ बलगम व कभी कभार खून भी आता है. टीबी जिस अंग में होती है लक्षण उसी अनुसार होते हैं. जैसे रीढ़ की हड्डी में टीबी से कमरदर्द, किडनी की टीबी में यूरिन में रक्त आना, दिमाग की टीबी से टीबी का दौरा, मिर्गी, बेहोशी छाना और पेट की टीबी में पेटदर्द और दस्त आदि होता है.

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