लखनऊ:किसी राज्य में एक साथ दो मुख्यमंत्री हो सकते हैं. अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए तो आप कहेंगे कि नहीं. क्योंकि संवैधानिक रूप से भी ऐसा नहीं हो सकता है. लेकिन, उत्तर प्रदेश में एक बार ऐसा भी हुआ है, जब एक समय में दो लोग सूबे के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन थे. इसमें एक थे कल्याण सिंह और दूसरे जगदंबिका पाल. ये वही जगदंबिका पाल हैं जो वर्तमान में यूपी की डुमरियागंज सीट से बीजेपी के सांसद हैं.
ये वाकिया 23 साल पहले, साल 1998 का है. देश में 12वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने रहे थे और सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में व्यस्त थीं. उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर मतदान हो चुनाव था और कई सीटों पर मतदान होना बाकी था. यूं तो लोकसभा चुनाव के बाद फैसला होना था कि दिल्ली की गद्दी पर कौन बैठेगा. लेकिन, लखनऊ में एक अलग ही सियासी खेल चल रहा था. बात 21 फरवरी 1998 की है, इस दिन तत्काली सीएम कल्याण सिंह गोरखपुर में चुनाव प्रचार कर रहे थे और बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राजनाथ सिंह लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का दाव कर रहे थे. लेकिन, इस बीच राजभवन में अलग ही सियासी खेल चल रहा था. तत्कालीन बसपा उपाध्यक्ष मायावती बीएसपी विधायकों, अजीत सिंह की भारतीय किसान कामगार पार्टी के विधायकों, जनता दल के विधायकों और कल्याण सिंह सरकार को समर्थन कर रहे लोकतांत्रिक कांग्रेस के विधायकों के साथ राजभवन पहुंची. राजभवन पहुंचने के बाद मायावती ने यूपी के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी के सामने लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता जगदंम्बिका पाल को आगे करते हुए कहा कि, इन्हें यहां मौजूद सभी दलों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इसलिए आप कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर इन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाइए. इसके बाद थोड़ी देर बाद मुलायम सिंह यादव ने बयान जारी कर कहा कि, उनकी पार्टी भी जगदंबिका पाल का समर्थन करती है. मुलायम के ऐलान के कुछ ही देर बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से भी पाल के समर्थन की चिट्ठी राजभवन पहुंच गई.
इस बात की जानकारी जैसे ही कल्याण सिंह को हुई वे आनन-फानन में गोरखपुर से सीधा राजभवन पहुंचे और राज्यपाल रोमेश भंडारी से मुलाकात कर बहुत सिद्ध करने का समय मांगा. कल्याण सिंह ने बोमई केस का हवाला देते हुए कहा कि बहुमत का फैसला सिर्फ सदन में हो सकता है. लेकिन, राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह की मांग को खारिज दिया. इसके बाद रात सवा 10 बजे के करीब राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया. जिसके कल्याण सिंह सरकार में परिवहन मंत्री रहे जगदंबिका पाल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई. जगदंबिका पाल साथ चार और मंत्रियों नरेश अग्रवाल, बच्चा पाठक, राजराम पांडे और हरिशंकर तिवारी को भी मंत्री बनाया गया. लोकतांत्रिक कांग्रेस के अध्यक्ष और कल्याण सिंह सरकार में बिजली मंत्री रहे नरेश अग्रवाल को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया.
22 फरवरी को लखनऊ सहित यूपी की कई लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई. लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यहां अपना वोट डाला. इसके तुरंत बाद वे स्टेट गेस्ट हाउस में राज्यपाल रोमेश भंडारी के खिलाफ धरने पर बैठ गए. उधर तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने उस समय प्रधानमंत्री रहे इंद्रकुमार गुजराल को पत्र लिखकर लखनऊ में राजनीतिक घटना क्रम और उसमें राज्यपाल रोमेश भंडारी की भूमिका पर असंतोष जाहिर किया.