लखनऊ: साइबर क्रिमिनल भी जालसाजी के नए नए पैंतरे अपना रहे हैं. यह देख साइबर क्राइम सेल के अफसर भी हैरान है. कोरोना वैश्विक महामारी के बाद से साइबर फ्रॉड के केवल कार्ड क्लोनिंग और डाटा हैकिंग के मामले आ रहे थे, जो जामताड़ा और नाइजीरियन गैंग समेत कुछ एक गैंग तक ही सीमित थे. लेकिन, अब एक नया मामला बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग से जुड़ा हुआ सामने आया है. इसमें साइबर क्रिमिनल बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर लोगों का बैंक खाली कर देते हैं. बीते 26 फरवरी को लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के द्वारा ऑनलाइन स्कैन पैन कार्ड की मदद से पैसे निकालने वाले दो अपराधी देवेंद्र मौर्या और रमेश कुमार को वाराणसी से गिरफ्तार किया है. वहीं साइबर क्राइम सेल ने एक स्टाम्प मशीन, क्लोन किए गए फिंगरप्रिंट सैंपल, इमेज बूस्टर/क्लीनर लिक्विड व 4 बायोमेट्रिक डिवाइस एवं 4 सिंगल साइडेड टेप बरामद किया था. गैंग के सदस्य अभी तक कई राज्यों के लोगों को करोड़ों लोगों को चूना लगा चुके हैं.
इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम से खाली करते हैं बैंक
साइबर क्राइम सेल के प्रभारी का कहना है कि यह रजिस्ट्री ऑफिस के ऑनलाइन दिखने वाले दस्तावेज को देखते थे. उसके अंगूठे के निशान को डार्क स्कैन करके निकालते थे. उसके बाद उस अंगूठे के जरिए पैन कार्ड मर्ज होने की वजह से उसका नंबर भी प्राप्त कर लेते थे, फिर बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग करके आधार के जरिए एटीएम मशीन व अन्य अंगूठे के जरिए निकालने वाले पैसे निकालने की जालसाजी करते थे. यह लोग आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से ऑनलाइन धोखाधड़ी कर लाखों रुपये की ठगी का खेल कर चुके हैं. साथ ही अंगूठे के निशान को आधार से मैच कराकर डुप्लीकेट दस्तावेजों को भी तैयार करने का मामला शातिर अपराधियों के द्वारा किया जाता है.