राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन. लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की विरोधी पार्टियां उस पर यह तंज कसती है कि बसपा के नेताओं ने जमीन छोड़ दी इसीलिए उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई. धरातल पर बसपा का अस्तित्व बचा ही नहीं है. डिजिटल वॉर में भी पार्टी काफी पिछड़ गई है. एक तरफ पार्टियों के ट्विटर हैंडल से ट्वीट बरस रहे होते हैं, वहीं बीएसपी का ट्विटर अकाउंट कई-कई दिनों तक खामोश रहता है. पार्टी के ट्विटर हैंडल से सिर्फ बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती जो ट्वीट करती हैं वही री ट्वीट होता है. इसके अलावा पार्टी के अन्य नेता भी सोशल प्लेटफॉर्म्स से दूर ही रहते हैं.
बीजेपी के देश में सबसे अधिक फॉलोअर हैं, पार्टी ट्विटर के जरिये अपने काम का जोर-शोर से प्रचार करती है.
डिजिटल युग में सभी राजनीतिक दल जमीन पर काम करने के साथ-साथ विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. सत्ता में बैठी पार्टी व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर या फिर इंस्टाग्राम के सहारे अपने अच्छे कामों और सरकार की योजनाओं का प्रसार करती है. विपक्षी दल भी इन्हीं सोशल प्लेटफॉर्म्स के सहारे अपनी राजनीतिक गतिविधियों को जनता तक पहुंचा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि इन प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने में भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी सोशल प्लेटफार्म का अच्छा इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी के ट्विटर हैंडल पर किसी तरह की गतिविधि होती ही नहीं है.
बीएसपी सिर्फ पार्टी की मुखिया मायावती के ट्वीट को रीट्वीट करती है. पिछले एक महीने में बहुजन समाज पार्टी के ट्विटर हैंडल से 15 जनवरी को एक ट्वीट हुआ. इस ट्वीट के जरिये बीएसपी सुप्रीमो मायावती को जन्मदिन की बधाई दी गई. बसपा सुप्रीमो मायावती ही पार्टी का पक्ष ट्विटर के जरिये रखती हैं. बीएसपी के नेता भी सोशल मीडिया से दूर ही रहते हैं. राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन का मानना है कि इससे पार्टी को नुकसान भी खूब हो रहा है.
ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले नेताओं में सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अग्रणी नेताओं में शुमार हैं.
जहां तक बसपा सुप्रीमो मायावती के टि्वटर हैंडल की बात करें तो उनके तीन मिलीयन फॉलोअर्स हैं. वह अन्य किसी राजनीतिक दल, नेता या व्यक्ति को फॉलो नहीं करती हैं. पिछले काफी समय से मायावती के फॉलोअर्स भी तीन मिलियन पर ही टिके हए हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अक्टूबर 2018 में ट्विटर ज्वाइन किया था. बीएसपी के ट्विटर हैंडल की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी का जुलाई 2009 में अकाउंट बना था. बीएसपी के ट्विटर हैंडल से पांच लोगों को फॉलो किया जा रहा है. इनमें बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद, बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, बहुजन समाज पार्टी के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट आनंद कुमार, बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और ट्विटर शामिल हैं. करीब 62 हजार लोग बहुजन समाज पार्टी का टि्वटर हैंडल फॉलो करते हैं.
नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ की फॉलोइंग सबसे अधिक है.
योगी आदित्यनाथ के सबसे अधिक फॉलोअर्स :जहां बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के सिर्फ तीन मिलियन फॉलोअर्स हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 23.5 मिलियन फॉलोअर्स हैं और वह 53 लोगों को फॉलो कर रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितंबर 2015 में ट्विटर ज्वाइन किया था. भाजपा के कुल 19.8 मिलियन फॉलोअर्स और सिर्फ तीन लोगों को ही फॉलो किया जा रहा है. भाजपा का अकाउंट अक्टूबर 2010 में बना था.
सपा मुखिया अखिलेश यादव के ट्विटर पर 17.9 मिलीयन फॉलोअर्स हैं. वे 24 लोगों को फॉलो कर रहे हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव का जुलाई 2009 में ट्विटर अकाउंट बना था. समाजवादी पार्टी के ट्विटर पर 3.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं और पार्टी की तरफ से 54 लोगों को फॉलो किया जा रहा है. जहां तक फॉलोअर्स की बात करें तो समाजवादी पार्टी के जितने टि्वटर पर फॉलोअर्स हैं उससे कम मायावती के फॉलोअर हैं.
मायावती के सिर्फ एक अकाउंट को फॉलो करती हैं.
बीएसपी की पॉलिसी के कारण दूर हैं नेता : राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन का मानना है कि बीएसपी नेताओं के ट्विटर पर सक्रिय न होने के पीछे एक बड़ी वजह है पार्टी मुखिया की गाइडलाइन है. बसपा में जो मायावती कहती हैं, वही होता है. अपने मन का कोई कुछ नहीं कर सकता. यही वजह है कि अन्य नेता ट्विटर पर अपने मन की बात भी नहीं कह सकते. बहुजन समाज पार्टी का अधिकृत ट्विटर हैंडल ही सिर्फ मायावती के ट्वीट रिट्वीट करता है. पार्टी के अन्य नेताओं को पार्टी लाइन से हटकर कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं है.
समाजवादी पार्टी ट्विटर पर अक्सर यूपी सरकार के कामकाज पर निशाना साधती है. यूपी में वह बीजेपी का मुकाबला सोशल मीडिया के जरिये बखूबी कर रही है. राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन का मानना है कि यह बसपा की अपनी पॉलिटिक्स है. ट्विटर पर बसपा का जो वोट बैंक है, वह ज्यादा सक्रिय नहीं है. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जमीन पर जाकर लोगों से मिलते हैं और बसपा मुखिया का संदेश पहुंचाते हैं. इसकी वजह से उन्हें ट्विटर की जरूरत महसूस नहीं होती. हालांकि ट्विटर भी आज की जरूरत है. इस पर बसपा सुप्रीमो का ध्यान गया भी है, तभी उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स संभालने की जिम्मेदारी दी है. डिजिटल युग में ट्विटर का महत्व बढ़ गया है. एक ट्वीट से चंद सेकेंड में ही लोग अपनी बात जनता के बीच पहुंचा देते हैं. विभिन्न दलों के टि्वटर फॉलोअर्स हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी नेता ही स्वयं बोलती हैं. उनके अलावा पार्टी में किसी को कुछ बोलने की इजाजत नहीं है. शायद यही वजह है कि बीएसपी के ट्विटर अकाउंट पर कोई गतिविधि नहीं होती है.
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