लखनऊ: ट्विटर का ब्लू टिक लेना लोगों को भारी पड़ रहा है. क्योंकि, यूजर की ब्लू टिक की चाहत ने साइबर अपराधियों को ठगने का एक नया रास्ता दे दिया है. भारत में ब्लू टिक खरीदने की सेवा भले ही न शुरू हुई हो. लेकिन, साइबर ठग लोगों को ब्लू टिक दिलाने का झांसा देकर उनके अकाउंट खाली कर रहे हैं. देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं. आइए आपको बताते हैं कि ट्विटर पर ब्लू टिक दिलाने के नाम पर किस तरीके से ठगी हो रही है.
एक पत्रकार राजधानी में अपना यूट्यूब चैनल चलाते है. उनके साथियों के पास ट्विटर पर ब्लू टिक है. उनको भी अपने साथियों जैसा खास बनना था. ऐसे में उन्होंने गूगल में डिजिटल मीडिया एजेंसी का नंबर सर्च किया और कॉल कर ब्लू टिक लेने की इच्छा जाहिर की. चूंकि ब्लू टिक खरीदने की सेवा इंडिया में शुरू नहीं हुई है, ऐसे में कॉल उठाने वाले ठग ने उनको वीपीएन (Virtual private network) के जरिए अन्य किसी देश के नेटवर्क में जाकर ब्लू टिक खरीदने की बात कही.
पत्रकार ने सहमति दी तो जालसाज ने उनके ट्विटर अकाउंट की डिटेल व उनके डेबिट कार्ड की फोटो मांगी. पत्रकार ने ये सभी जानकारी दे दी. थोड़ी देर बाद जालसाज ने डेबिट कार्ड की इंटरनेशनल पेमेंट सुविधा खोलने के लिए ई बैंकिंग को चलाने के लिए ओटीपी मांगे. ओटीपी देने के बाद अकाउंट से 17 हजार रुपये उड़ गए. हालांकि, पत्रकार ने समय पर बैंक व साइबर सेल से संपर्क कर अपना बैंक अकाउंट फ्रीज करवा दिया.
ट्विटर पर डाला पोस्ट तो जालसाज ने कर दी कॉल 'ब्लू टिक चाहिए क्या'
प्रयागराज के मोहम्मद समद के साथ भी पत्रकार जैसा ही कांड हुआ. फर्क इतना था कि समद ने ट्विटर के ब्लू टिक खरीदने की जानकारी को लेकर एक पोस्ट की थी. दूसरे दिन ही उनके पास एक शख्स ने खुद को यूएसए का बताते हुए ट्विटर का ब्लू टिक दिलाने की बात कही. शर्त यही थी कि ब्लू टिक खरीदने के लिए जो ट्विटर को पेमेंट होगा, वह यूजर के ही डेबिट या क्रेडिट कार्ड से होगा. समद ने क्रेडिट कार्ड की डिटेल देते हुए एक साल के लिए पैसे जमा करने के लिए कह दिया. थोड़ी देर में ही समद को उनका ये शौक भारी पड़ गया. उनके अकाउंट से 24 हजार रुपये कट गए. समद की शिकायत पर साइबर पुलिस जांच कर रही है.
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