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शिव पूजा में भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी समेत ये 6 चीजें, जानिए क्यों - लखनऊ

सावन (Sawan) माह में शिव भक्त भगवान शंकर की विविध रूप से पूजा (Pooja) करते हैं. भगवान शिव (Shiva) को गंगाजल, अक्षत्, गाय का दूध, भांग, मदार, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है, लेकिन पूजा में तुलसी (Tulasi) समेत 6 ऐसी चीजें हैं जिनका प्रयोग वर्जित है.

सावन में भगवान शिव की पूजा
सावन में भगवान शिव की पूजा

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Published : Jul 28, 2021, 6:31 AM IST

लखनऊ : श्रावस मास का सोमवार हो या फिर किसी और मास का सोमवार, इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान उनको गंगाजल, अक्षत्, गाय का दूध, भांग, मदार, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है, लेकिन उनकी पूजा में तुलसी समेत 6 ऐसी चीजें हैं, जिनका प्रयोग वर्जित है. उनको भूलकर भी वे चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए.

सावन में भगवान शिव की पूजा

तुलसी का पत्ता

भगवान शिव की पूजा में तुलसी का पत्ता प्रयोग नहीं किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने वृंदा के पति जलंधर का वध किया था, इसमें भगवान विष्णु ने जलंधर का रुप धारण करके वृंदा के पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया था. यह बात जानने पर वृंदा ने आत्मदाह कर लिया, उस जगह पर तुलसी का पौधा उग गया. वृंदा ने शिव पूजा में तुलसी के न शामिल होने की बात कही थी.

हल्दी

भगवान शिव की पूजा में हल्दी भी वर्जित है. मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में हल्दी को शुभ माना जाता है. हल्दी का सौंदर्य प्रशाधन में भी एक स्थान है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसलिए भोलेनाथ को हल्दी अर्पित नहीं किया जाता है.

सावन में भगवान शिव की पूजा

गुड़हल का फूल भगवान शिव को न करें अर्पित

हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान शिव को वैरागी कहा गया है. चूंकि गुड़हल का फूल लाल रंग का होता है, जो भाग्य का प्रतीक माना जाता है. इसलिए भगवान शिव को गुड़हल का फूल भूलकर भी न चढ़ाएं. भगवान शिव को कनेर, कमल, लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े का फूल नहीं चढ़ाते हैं.

सावन में भगवान शिव की पूजा

शंख

भगवान शिव की पूजा में शंखनाद नहीं किया जाता और न ही शंख से उनका जलाभिषेक किया जाता है. उन्होंने शंखचूर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए उनकी पूजा में शंख निषेध है.

सावन में भगवान शिव की पूजा

नारियल पानी और रोली

नारियल के पानी से भगवान शिव का अभिषेक निषेध है और उनको रोली भी नहीं लगाई जाती है. नारियल को लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है और लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. मान्यता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से पैदा हुआ था. इस लिए इसे भगवान शिव की पूजा में तिल को नहीं चढ़ाया जाना चाहिए. नहीं तो शंकर भगवान कुपित होंगे.

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