लखनऊ :लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों के हृदय के खराब वाल्व को अब आसानी से बदला जा सकेगा. इसके लिए उनका बड़ा ऑपरेशन नहीं करना पड़ेगा. ट्रांस केथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) तकनीक से संस्थान में पहला वाल्व रिप्लेसमेंट किया गया. डॉक्टरों ने केथेटर के जरिए जांघ की नस से हृदय तक जाकर खराब वॉल्व को बदल दिया. अभी तक इस तरह के प्रत्यारोपण ट्रायल के तहत केजीएमयू और पीजीआई में किए गए थे.
संत कबीर नगर निवासी 71 वर्षीय पुरुष के एओर्टिक वॉल्व में खराबी आ गई थी. इससे मरीज में सांस फूलने समेत कई दिक्कतें बढ़ गईं. लिहाजा, उसे लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग में दिखाया. डॉक्टरों ने मरीज की जांचें की. इसमें वाल्व में सिकुड़न पाई गई. ऐसे में मरीज को वाल्व बदलवाने के लिए ओपेन हार्ट सर्जरी करानी पड़ती. वहीं डॉक्टरों ने नई टीएवीआर विधि से वाल्व बदलने का सुझाव दिया. इसमें सीने की हड्डी (स्टर्नम) नहीं काटनी पड़ती. जांघ की नस से जाकर हृदय का वाल्व बदल दिया.
विभागाध्यक्ष डॉ. भुवनचंद्र तिवारी के मुताबिक बुधवार को टीएवीआर (टावी) विधि से प्रत्यारोपण किया गया. डॉ. सुदर्शन और उनकी टीम ने नई विधि से पहला वॉल्व प्रत्यारोपण किया. इसके लिए एक अहमदाबाद के डॉक्टर चोपड़ा की भी मदद ली गई.
फेमोरल आर्टरी पंचर कर डाला वाल्व
डॉ. भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक इस विधि से वॉल्व रिप्लेसमेंट के लिए पहले मरीज को कैथ लैब में शिफ्ट किया गया. इसके बाद एंजियोप्लास्टी प्रोसीजर की तरह उसकी फेमोरल आर्टरी (जांघ की नस) में छोटा सा कट लगाकर पंचर की गई. इसके बाद कैथेटर के जरिए वाल्व को हृदय तक ले जाया गया और प्रत्यारोपित कर दिया गया.
चार घंटे का काम बस 45 मिनट में
डॉ. भुवनचंद्र के मुताबिक ओपेन हार्ट सर्जरी में चार से पांच घंटे लगते हैं. वहीं टावी विधि से वॉल्व रिप्लेसमेंट में सिर्फ 45 मिनट लगते हैं. ब्लड लॉस नहीं होता है. दो दिन में मरीज डिस्चार्ज कर दिया जाता है. मगर, यह अभी महंगा इलाज है. सामान्यतः इसका खर्च 15 लाख रुपये के करीब आता है. वहीं लोहिया संस्थान में 8 से 10 लाख के करीब खर्चा आया है.
हृदय में वाल्व का क्या है रोल