लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों से हर रोज लाखों यात्री सफर करते हैं. इन यात्रियों को बहुत जल्द परिवहन निगम की तरफ से सस्ती बस यात्रा का तोहफा मिल सकता है. दरअसल, ऐसा इसलिए संभव होने की उम्मीद है क्योंकि परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक की तरफ से शासन को प्राइवेट बसों की तुलना में निगम की बसों पर लगने वाले एडिशनल टैक्स को कम करने के लिए पत्र भेजा गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही एडिशनल टैक्स कम हो जाएगा. इसके बाद परिवहन निगम यात्री सुविधाओं की दृष्टि से यात्रियों की बस यात्रा सस्ती करेगा.
प्राइवेट बस ऑपरेटरों के सामने समस्या : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा मिल सके. इसके लिए हर रोड पर संचालित होती हैं. जिन रूटों पर अभी तक बसों का संचालन नहीं हो रहा है. उन पर प्राइवेट बसों का अनुबंध करके उन बसों को रूटों पर संचालित करने की योजना है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश हैं कि कोई भी गांव या मजरा असेवित न रहे. हर जगह बसें पहुंचें जिससे जनता को आवागमन में असुविधा न हो. इसी को ध्यान में रखकर अब परिवहन निगम असेवित गांव को सेवित करने के लिए अनुबंध योजना भी लाया है, लेकिन प्राइवेट बस ऑपरेटरों के सामने बड़ी समस्या एडिशनल टैक्स की खड़ी हो जाती है.
प्राइवेट को फायदा सरकारी को नुकसान : वर्तमान में प्रति सीट परिवहन निगम को प्राइवेट बसों की तुलना में चार गुना अधिक टैक्स चुकाना पड़ रहा है. प्रति सीट जहां प्राइवेट बस संचालकों को काफी फायदा होता है वहीं रोडवेज को बड़ा नुकसान. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों को 2 साल के लिए ₹600 प्रति सीट, दो से चार साल के लिए ₹500 प्रति सीट, चार से छह साल के लिए ₹400 प्रति सीट और छह साल से ऊपर के लिए ₹150 प्रति सीट का पैसेंजर टैक्स चुकाना पड़ता है, जबकि प्राइवेट बसों को ₹450 ही प्रति सीट चुकाना होता है.