लखनऊःराजधानी लखनऊ के बंधा रोड पर रेलिंग लगाने के काम में जिम्मेदार अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. रोड पर एक तरफ रेलिंग है, लेकिन दूसरी तरफ नहीं है. इस कारण आए दिन सड़क पर हादसे हो रहे हैं.
एक तरफ ही रेलिंग
लखनऊ के बंधा रोड (जो सीतापुर हाईवे और पुराने लखनऊ को जोड़ने वाला लिंक रोड है) पर लोगों का बड़ी संख्या में आवागमन रोज होता है. बंधा रोड पर एक तरफ लोहे की रेलिंग बनाई गई, लेकिन रोड के दूसरी तरफ रेलिंग नहीं बनाई गई. इससे वन वे रोड से निकलने वाले वाहन एक्सीडेंट के शिकार हो जाते हैं.
सड़क के सिर्फ एक तरफ रेलिंग होने से हो रहे हादसे. 6 माह में 4 मौत
आंकड़ों के हिसाब से देखें तो पिछले 6 माह में 4 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, हादसों की बात करें तो 6 माह में 14 हादसे हुए हैं. इसमें आठ ई-रिक्शा एक्सीडेंट और 6 बाइक एक्सीडेंट शामिल हैं.
क्या है लापरवाही
राजधानी लखनऊ में गोमती किनारे पर बंधा रोड स्थित है. यह रोड जाम से निजात दिलाने के लिए बनाया गया था. सुरक्षा की दृष्टि से बंधा रोड पर दोनों तरफ रेलिंग लगाने की जरूरत थी. इस बीच नगर निगम और पीडब्ल्यूडी ने मिलकर रेलिंग लगाई, पर एक ही तरफ रेलिंग लगाई गई. इस लापरवाही का भुगतान इस रास्ते से निकलने वाले लोग करते हैं. वहीं, सिर्फ एक तरफ रेलिंग होने से लोग आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं. कई बार ई रिक्शा खाई में पलट जाती है.
दूसरी तरफ खाई होने से बड़ा खतरा
स्थानीय निवासी मोहम्मद कामिल ने बताया कि यहां पर एक तरफ रेलिंग लगाई गई है. वहीं दूसरी तरफ से रेलिंग नहीं लगाई गई है. इसकी वजह से आए दिन बड़ा एक्सीडेंट होता है. वहीं, बंधे के दूसरे किनारे पर पूरी तरह से खाई है, जिसकी वजह से आए दिन ई रिक्शा भी पलट जाते हैं. लोग घायल हो जाते हैं. कई बार हादसे में लोगों की मौत भी हो जाती है. ई-रिक्शा चालक मोहम्मद राजू ने बताया कि इस रोड पर आए दिन रिक्शा पलट जाता है और लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं. मोहम्मद यामीन ने बताया कि एक तरफ रेलिंग होने की वजह से आए दिन इस रोड पर एक्सीडेंट होता है, जिससे लोग बड़ी घटनाओं के शिकार हो जाते हैं. वहीं, खाई होने की वजह से गाड़ियां आए दिन खाई में पलट जाती हैं.
बंधे के निर्माण में कुछ रुकावट आ रही हैं. इसकी वजह से अभी तक रेलिंग नहीं लगायी गयी है. जल्द ही इन समस्याओं से निपटारा पाकर रेलिंग लगाई जाएगी. इससे लोगों को बड़ी घटनाओं से निजात मिल सके.
राजेश श्रीवास्तव, जोनल अधिकारी