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पब्लिसिटी वैन आईं थीं सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने, कार्यालयों में हो रहीं हैं कबाड़ - पब्लिसिटी वैन का संचालन

साल 2016 के आखिर में परिवहन विभाग ने पब्लिसिटी वैन का संचालन (operation of publicity van) कराया था. एक पब्लिसिटी वैन की कीमत तकरीबन 15 लाख रुपए है. अब यह सभी पब्लिसिटी वैन प्रचार-प्रसार के बजाय कार्यालयों में कबाड़ हो रही हैं.

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Published : Oct 21, 2022, 3:49 PM IST

लखनऊ. परिवहन विभाग ने सड़क हादसों के बढ़ते ग्राफ को ध्यान में रखकर सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए साल 2016 के आखिर में प्रदेश भर में पब्लिसिटी वैन संचालित (operation of publicity van) कराई थीं. इन पब्लिसिटी वैन के संचालन का ठेका एक कंपनी को दिया गया था. करीब तीन साल तक इस एजेंसी ने प्रदेशभर में पब्लिसिटी वैन का संचालन कराया, लेकिन साल 2019 में कंपनी का ठेका खत्म हो गया. इसके बाद परिवहन विभाग ने फिर से टेंडर ही नहीं किया. लिहाजा, जो पब्लिसिटी वैन लोगों को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए लाई गई थीं अब वे आरटीओ कार्यालयों में कबाड़ हो रही हैं. जनता को पब्लिसिटी वैन का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है क्योंकि लोगों को जागरूक करने के लिए आईं पब्लिसिटी वैन सड़कों पर चलने के बजाय कार्यालयों में खड़ी हैं. जब सड़क सुरक्षा सप्ताह आता है तो इन्हें दिखावे के लिए कार्यक्रम स्थल पर खड़ा कर दिया जाता है बाकी दिन आरटीओ कार्यालयों की ही शोभा बढ़ाते हुए नजर आती हैं. दरअसल, पब्लिसिटी वैन इसलिए भी संचालित नहीं हो पा रही हैं क्योंकि इन्हें ऑपरेट करने के लिए एक वैन को ड्राइवर समेत तीन से चार कर्मचारी चाहिए. जो परिवहन विभाग में हैं नहीं. इनके संचालन के लिए जिस कंपनी को तीन साल का ठेका दिया गया था, 2019-20 के बाद उसे रिनुअल नहीं किया गया. इसके चलते यह प्रचार गाड़ियां सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

एलईडी स्क्रीन के साथ सड़क सुरक्षा के स्टीकर :पब्लिसिटी वैन में सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों से संबंधित स्टीकर लगे हुए हैं, साथ ही एक बड़ी सी एलईडी स्क्रीन लगी है. सड़कों पर संचालित होने के दौरान इस पब्लिसिटी वैन की एलईडी पर सड़क सुरक्षा से संबंधित नियम कानून दर्शाए जाते हैं, साथ ही ऐसे वीडियोज भी प्रदर्शित किए जाते हैं, जिससे जनता यातायात नियमों का पाठ पढ़ सके. जो गलतियां लोग ड्राइविंग के दौरान करते हैं उनमें सुधार हो सके, लेकिन जब यह प्रचार वाहन आरटीओ कार्यालयों में ही खड़े हैं तो भला हादसों पर लगाम लगे भी तो कैसे? लोग जागरूक हों भी तो कैसे?

हर जोन को दी गई थीं दो-दो पब्लिसिटी वैन :साल 2016 के आखिर में परिवहन विभाग ने पब्लिसिटी वैन का संचालन (operation of publicity van) कराया था. उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग के कुल आधा दर्जन जोन हैं. हर जोन को दो-दो पब्लिसिटी वैन उपलब्ध कराई गई थीं. एक पब्लिसिटी वैन की कीमत तकरीबन 15 लाख रुपए है. अब यह सभी पब्लिसिटी वैन प्रचार-प्रसार के बजाय कार्यालयों में कबाड़ हो रही हैं. सिर्फ सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान आरटीओ के ही कर्मचारियों से इन्हें संचालित करा दिया जाता है, उसके बाद वापस कार्यालय में ही खड़ा कर दिया जाता है.

बढ़ गए 13 फीसद हादसे :पब्लिसिटी वैन का संचालन न होने और यातायात नियमों से खिलवाड़ करने वाले वाहन चालकों पर नकेल न कसे जाने के चलते लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों ने रफ्तार पकड़ ली है. आलम यह है कि प्रदेश भर में 13 गुना सड़क हादसे बढ़ गए हैं और लखनऊ में भी हादसों की संख्या में इजाफा हुआ है. इसी साल जनवरी से अगस्त तक के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसमें सड़क हादसों में 13.7 परसेंट की वृद्धि हुई है. मृतकों की संख्या में 8.70 और घायलों की संख्या में 18.44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की करें तो यहां भी सड़क हादसों में डेढ़ गुना का इजाफा हुआ है.

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एआरटीओ प्रवर्तन अमित राजन राय कहते हैं कि पब्लिसिटी वैन प्रचार वाहन है. समय-समय पर इसे लखनऊ शहर की सड़कों पर और ग्रामीण इलाकों में प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इससे सड़क सुरक्षा से संबंधित पैम्फलेट बांटे जाते हैं, जो एलईडी स्क्रीन लगी हुई है उस पर वीडियो चलाकर दिखाएं जाते हैं. जिससे सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके.

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