लखनऊ. परिवहन विभाग ने सड़क हादसों के बढ़ते ग्राफ को ध्यान में रखकर सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए साल 2016 के आखिर में प्रदेश भर में पब्लिसिटी वैन संचालित (operation of publicity van) कराई थीं. इन पब्लिसिटी वैन के संचालन का ठेका एक कंपनी को दिया गया था. करीब तीन साल तक इस एजेंसी ने प्रदेशभर में पब्लिसिटी वैन का संचालन कराया, लेकिन साल 2019 में कंपनी का ठेका खत्म हो गया. इसके बाद परिवहन विभाग ने फिर से टेंडर ही नहीं किया. लिहाजा, जो पब्लिसिटी वैन लोगों को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए लाई गई थीं अब वे आरटीओ कार्यालयों में कबाड़ हो रही हैं. जनता को पब्लिसिटी वैन का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है क्योंकि लोगों को जागरूक करने के लिए आईं पब्लिसिटी वैन सड़कों पर चलने के बजाय कार्यालयों में खड़ी हैं. जब सड़क सुरक्षा सप्ताह आता है तो इन्हें दिखावे के लिए कार्यक्रम स्थल पर खड़ा कर दिया जाता है बाकी दिन आरटीओ कार्यालयों की ही शोभा बढ़ाते हुए नजर आती हैं. दरअसल, पब्लिसिटी वैन इसलिए भी संचालित नहीं हो पा रही हैं क्योंकि इन्हें ऑपरेट करने के लिए एक वैन को ड्राइवर समेत तीन से चार कर्मचारी चाहिए. जो परिवहन विभाग में हैं नहीं. इनके संचालन के लिए जिस कंपनी को तीन साल का ठेका दिया गया था, 2019-20 के बाद उसे रिनुअल नहीं किया गया. इसके चलते यह प्रचार गाड़ियां सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं.
एलईडी स्क्रीन के साथ सड़क सुरक्षा के स्टीकर :पब्लिसिटी वैन में सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों से संबंधित स्टीकर लगे हुए हैं, साथ ही एक बड़ी सी एलईडी स्क्रीन लगी है. सड़कों पर संचालित होने के दौरान इस पब्लिसिटी वैन की एलईडी पर सड़क सुरक्षा से संबंधित नियम कानून दर्शाए जाते हैं, साथ ही ऐसे वीडियोज भी प्रदर्शित किए जाते हैं, जिससे जनता यातायात नियमों का पाठ पढ़ सके. जो गलतियां लोग ड्राइविंग के दौरान करते हैं उनमें सुधार हो सके, लेकिन जब यह प्रचार वाहन आरटीओ कार्यालयों में ही खड़े हैं तो भला हादसों पर लगाम लगे भी तो कैसे? लोग जागरूक हों भी तो कैसे?