लखनऊ: परिवहन विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के साथ ही जनता को होने वाली दिक्कतों को दूर करने की तैयारी शुरू की गई है. परिवहन विभाग ने इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का कुछ समय पहले गठन किया, जो इन समस्याओं को दूर करेगी. परिवहन मंत्री अशोक कटारिया के निर्देश पर आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस, परमिट, डग्गामार और ओवरलोडिंग जैसी समस्याओं को जड़ से खत्म करने की योजना है. हालांकि कोरोना के कारण इस समिति का काम प्रभावी ढंग से शुरू नहीं हो सका है. समिति सबसे पहले प्रदेश के उन परिवहन कार्यालयों की जांच करेगी, जहां पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं. इनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय का नंबर पहले लगना है.
समस्याओं पर शुरू हुआ मंथन
इस विशेष समिति में उप परिवहन आयुक्त राजीव श्रीवास्तव को अध्यक्ष बनाया गया है. आरटीओ मुख्यालय संजय नाथ झा और आरटीओ अलीगढ़ केडी गौड़ को भी शामिल किया गया. विभागीय अधिकारियों के अनुसार अलीगढ़ को मॉडल बना कर वहां आने वाली समस्याओं का अध्ययन शुरू किया गया है. उप परिवहन आयुक्त राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए यह कोशिश की जा रही है. कई अन्य विभाग ऐसे रहे हैं, जहां आरटीओ ऑफिस जैसी समस्याएं आई थीं, जिन्हें ठीक कर दिया गया है. उन व्यवस्थाओं का अध्ययन भी किया जा रहा है. बता दें कि समिति ने कुछ कार्यालयों का दौरा किया, लेकिन कोरोना ने बीच में खलल डाल दिया. अब एक बार फिर समिति ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की तैयारी प्रारंभ की है.
ये हैं डीएल से जुड़ी समस्याएं
- आरटीओ ऑफिस में कर्मचारी और दलाल की पहचान न होना.
- लोगों को डीएल के लिए ऑनलाइन आवेदन करना ही नहीं आता.
- टाइम स्लॉट मिलने के बाद कहां जाना है.
- पता ही नहीं चलता कि टेस्ट में पास हुए हैं या फेल.
- डीएल को लेकर आने वाली समस्या के लिए किससे मिलें.
स्कूली वाहनों की समस्याएं
- दलाल पैसा लेकर अनफिट वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिला देते हैं.
- बिना परमिट के स्कूली बच्चों को ढोया जा रहा है.
- स्कूली वाहनों के ड्राइवरों के लाइसेंस की जांच.
- ऑनलाइन चेकिंग के लिए कोई सुविधा ना होना.
- अनियंत्रित स्पीड पर लगाम लगाना.
अवैध रूप से दौड़ रहे वाहन
- प्रदेशभर की सड़कों पर अवैध वाहनों की भरमार.
- इन वाहनों की निगरानी संभव न हो पाना.
- शहरों में कामार्शियल वाहनों का बिना परमिट के दौडऩा.
- परिमट के लिए आरटीओ ऑफिस में होने वाली परेशानी.
- कामार्शियल वाहन सुरक्षा के अनुरूप न होना.
- ई-रिक्शा पर लगाम लगाना.
रजिस्ट्रेशन से जुड़ी समस्याएं - री-रजिस्ट्रेशन में आने वाली समस्याएं.
- वीआईपी और मनचाहे नंबर की बुकिंग की लोगों को जानकारी न होना.
- री-सेल होने पर रजिस्ट्रेशन से जुड़ी समस्याएं.
फाइनेंस से जुड़ी समस्या - कामार्शियल वाहनों के टैक्स कई वर्षों से बकाया.
प्रदूषण रोकने की रणनीति - प्रदूषण की जांच के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है लेकिन लोग इसकी चेकिंग नहीं करा रहे.
- प्रदेश में वाहनों के प्रदूषण को चेक करने वाले सेंटर्स की भी कमी है.
ओवरलोडिंग से जुड़ी समस्याएं - प्रदेश में ओवरलोड वाहन के नेटवर्क को तोडऩे की चुनौती.
- ओवरलोड वाहनों के चालान के बाद भी इनकी रोड पर मौजूदगी.
व्यवस्थागत समस्याएं - परिवहन विभाग मुख्यालय में अधिकारियों की संख्या में कमी.
- प्रवर्तन टीम में लगातार हो रही कमी.
- आरटीओ ऑफिस में घटती कर्मचारियों की संख्या.
- कई जगह आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के कार्य एक ही भवन में होने से आ रही परेशानी.