लखनऊ :कहते हैं कि लोगों की मदद करना सबसे बड़ा पुण्य का काम होता है जान से अनमोल कोई चीज ही नहीं है. ऐसे में किसी की सहायता कर उसकी जान बचा ली जाए तो इससे बेहतर दुनिया में कोई काम हो ही नहीं सकता. ऐसे ही लोग नेक आदमी की श्रेणी में आते हैं. समाज में उन्हें हमेशा अच्छी नजर से देखा जाता है. ऐसे ही एक समाजसेवी हैं जिन्हें लोगों की सही समय पर मदद कर जान बचाने के लिए "एंबुलेंस मैन" के नाम से जाना जाता है. अब तक वह पौने तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं. परिवहन विभाग की तरफ से उन्हें गुड सेमेरिटन का अवार्ड दिया गया. "एंबुलेंस मैन" अशोक तपस्वी ने "ईटीवी भारत" से विशेष बातचीत की.
सवाल : आपने ऐसा क्या किया था जिसकी वजह से आप एंबुलेंस मैन के नाम से जाने जाते हैं?
जवाब : 'अब तक मैंने करीब पौने तीन लाख लोगों की जानें बचाई हैं. 2007 से जब मेरे बाबूजी नए नहीं रहे तो उनकी याद में मैं एंबुलेंस ले आया. उसी एंबुलेंस में सेवा दे रहा हूं. कहीं पर कोई दुर्घटना होती है तो लोग मुझे कॉल करते हैं. मैं मौके पर पहुंच जाता हूं. इस तरह 466 डेड बॉडी रोड एक्सीडेंट की अब तक उठाई हैं. भयानक हादसों में जो डेड बॉडी के टुकड़े सड़क पर चिपक जाते हैं उनको भी इकट्ठा करता हूं. कई बार मुझे सम्मान मिला आज फिर मुझे गुड सेमेरिटन का सम्मान मिला है. इससे मैं काफी खुश हूं. मैं हमेशा यह चाहता हूं कि हम जो करते हैं उसे मंच पर मौका दिया जाना चाहिए जिससे हम अपनी बात रखें और लोग जागरूक हो सकें. जो लावारिस होते हैं उनका भी मैं अंतिम संस्कार करता हूं.'
Good Samaritan Award : दुनिया इन्हें "एंबुलेंस मैन" के नाम से जानती है, अब तक बचा चुके हैं हजारों जानें - अशोक तपस्वी को गुड सेमेरिटन अवार्ड
फतेहपुर के रहने वाले अशोक तपस्वी को परिवहन निगम ने 'गुड सेमेरिटन' अवार्ड (Good Samaritan Award) से सम्मानित किया है. अशोक तपस्वी को लोग "एंबुलेंस मैन" के नाम से जानते हैं. शनिवार को कार्यक्रम के दौरान "एंबुलेंस मैन" ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
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सवाल : यह प्रेरणा आपको कैसे मिली कि लोगों की मदद करनी चाहिए?
जवाब : 'यह गॉड गिफ्टेड रहा मेरे लिए. जबसे मैं कार से चलने लगा तो कहीं पर कोई दुर्घटना होती थी तो मैं अपनी कार से उन्हें ले जाता था. आज भी मैं कहीं निकलता हूं तो मेरे कार में पूरा किट रखा रहता है. जैसे ही कोई घटना घटती है तो मैं अगर मौके पर पहुंच गया तो मेरी कोशिश रहती है कि उसकी जान बचाई जाए. मैं अपनी कार में पॉलिथीन बिछाकर हैंड ग्लव्स लगाकर उसे हॉस्पिटल पहुंचाने का काम करता हूं.'
सवाल : आप लोगों की जान तो बचा लेते हैं, डेड बॉडी का भी अंतिम संस्कार कर देते हैं, लेकिन लगातार जो गलतियां कर रहे हैं जिसकी वजह से जानें जा रही हैं उनको लेकर क्या कहेंगे?
जवाब : 'मैं बहुत प्रैक्टिकल हूं इसके लिए पौने तीन हजार लोगों की मैंने जो जानें बचाई हैं उसके अलावा 466 डेड बॉडी की जो मैं बात कर रहा हूं वे ऐसे लोग हैं जो बिना हेलमेट के थे और शराब के नशे में थे. मैं चाहता हूं कि कम से कम जब भी बाइक पर चलें हेलमेट का प्रयोग दोनों ही सवारी करें. कार में चलें तो सीट बेल्ट जरूर लगाएं. सीट बेल्ट के बारे में एक ऐसी दुर्घटना का जिक्र करना चाहूंगा कि सुबह 4:30 बजे एक फोन मेरे पास आता है तो मैं जब मौके पर पहुंचता हूं तो बेटा मां और पिता तीनों मर चुके थे. ट्रक से पीछे से टकराए थे. उनके ब्लीडिंग भी नहीं हुई, लेकिन डेथ हो गई थी. उन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी. सीट बेल्ट और हेलमेट जरूर पहनें और नशे में ड्राइविंग न करें.'
सवाल : प्राइमरी पाठ्यक्रम की पुस्तकों में सड़क सुरक्षा का लेशन होना चाहिए, क्या कहेंगे?
जवाब : 'हां, यह बेहद जरूरी है. बच्चों से शुरुआत करनी चाहिए. सड़क सुरक्षा का पाठ किताबों में शामिल करना चाहिए. इससे वह काफी सीखेंगे.'
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