लखनऊ: भले ही प्रदेश की योगी सरकार एंटी भू-माफिया के नाम पर जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की बात करती हो, लेकिन प्रदेश में जमीनों को लेकर होने वाले खेल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में किसानों की जमीन एक निजी कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है. जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद किसान हाथों में दस्तावेज लिए दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं. जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद पीड़ित लेखपाल से लेकर डीएम मुख्यमंत्री तक शिकायत कर चुके हैं.
जानिए, पूरा मामला
- मामला राजधानी लखनऊ के कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत का है, जहां पर एक निजी कंपनी हाउसिंग सिटी का निर्माण कर रही है.
- बड़ी संख्या में किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है, जबकि किसानों ने न ही कोई लिखा पढ़ी की है और न ही बैनामा.
- जमीन अधिग्रहण का काम भी एलडीए जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया जा रहा है.
- ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जमीन अपने आप निजी कंपनी के नाम ट्रांसफर हुई तो कैसे हुई?
- गांव वालों का आरोप है कि कंपनी और जिला प्रशासन के कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है.
औने-पौने दाम पर जमीन खरीदना चाहती है कंपनी
जिस तरीके से किसानों की जमीनों की खतौनी पर कंपनी का नाम चढ़ाया गया है, उससे पूरे प्रकरण में कुछ खेल होने की बू आ रही है. हालांकि जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि एक मानवीय भूल हो सकती है, लेकिन मानवीय भूल होती तो तमाम अन्य खतौनी पर भी लागू होती. ज्यादातर मामले सिर्फ निजी कंपनियों से जुड़े हुए क्यों होते हैं? ऐसे में पीड़ितों का आरोप है कि कंपनी क्योंकि सस्ती दरों पर गांव वालों की जमीन खरीदना चाहती है, उसके इशारे पर ही जिला प्रशासन के जिम्मेदार कर्मचारी मिलीभगत करके उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दे रहे हैं. जिससे कंपनी उनसे औने-पौने दाम पर जमीन खरीद सके.