लखनऊ: राजधानी में सड़क पर हो रहे हादसों को कम करने के लिए 29 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. इन्हें हादसा बाहुल्य क्षेत्र भी कहते हैं. फिलहाल यह ब्लैक स्पॉट राजधानी में 2017-18 की रिपोर्ट के आधार पर बनाए गए थे. वहीं इस बार 2018-19 के आंकड़ों के आधार पर नए ब्लैक स्पॉट के चिन्हीकरण का काम भी जारी है.
ब्लैक स्पॉट को चिन्हित कर किया जा रहा काम. राजधानी में 29 हादसा बाहुल्य क्षेत्र
राजधानी में जिन 29 ब्लैक स्पॉट को चुना गया था, उनमें फिलहाल 14 जगहों पर रोड इंजीनियरिंग में बदलाव करके सफलता हासिल कर ली गई है. इन 14 जगहों पर अब हादसों की संख्या न के बराबर है, जबकि अभी भी 15 ब्लैक स्पॉट पर हादसे बढ़ रहे हैं. वहीं इनमें से कई जगहें तो ऐसी हैं, जहां रोड इंजीनियरिंग में बदलाव की संभावना भी नहीं है. ऐसे में यातायात विभाग के लिए इन चौराहों पर हो रहे हादसों को रोकना एक चुनौती बन गया है.
ब्लैक स्पॉट बने चुनौती
राजधानी लखनऊ में हादसों के लिहाज से 6 खतरनाक चौराहे हैं, जिन पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं. इनमें समता मूलक चौराहा, फन मॉल, उतरेठिया पुल, पकरी का पुल, वीआईपी रोड, लतीफ नगर, हरौनी चौराहा और आईआईएम चौराहा शामिल हैं. इन चौराहों पर 2018-2019 में ज्यादा हादसे हुए हैं, जिसके बाद यातायात विभाग इन ब्लैक स्पॉट की रोड इंजीनियरिंग में बदलाव करके हादसों को रोकने में जुटा हुआ है.
14 ब्लैक स्पॉट में मिली सफलता
यातायात विभाग को 29 ब्लैक स्पॉट में से 14 ब्लैक स्पॉट में सफलता मिल चुकी है. इस साल के आंकड़ों के अनुसार इन ब्लैक स्पॉट में हादसों की संख्या पहले की अपेक्षा कई गुना घट गई है. वहीं यह ब्लैक स्पॉट अब हादसा मुक्त क्षेत्र हो चुके हैं.
एडीसीपी ट्रैफिक पूर्णेन्दु सिंह ने बताया कि 2017-18 की रिपोर्ट के आधार पर राजधानी में 29 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. इनमें 10 चौराहों की रोड इंजीनियरिंग में बदलाव किया गया है, जिसके बाद अब 14 ब्लैक स्पॉट पर हादसे नहीं हो रहे हैं. हालांकि 15 चौराहे अभी भी चुनौती बने हुए हैं. वहीं नए ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने का काम जारी है, जिसे इस साल के अंत तक जारी कर दिया जाएगा.