लखनऊ:राजधानी के सभी ऐतिहासिक स्मारक आज से खोल दिए गए हैं. दो महीने से कोरोना के चलते बंद चल रहे ऐतिहासिक स्मारक गुरुवार को फिर पर्यटकों से गुलजार दिखे. राजधानी लखनऊ के छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा और भूल भुलैया को देखने के लिए सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचे. हालांकि इन पर्यटन स्थलों में सैलानियों के लिए गाइडलाइन भी जारी हुई है, जिसके तहत सभी पर्यटकों को मास्क लगाकर ही अंदर प्रवेश करना है. वहीं एक बार में 200 पर्यटकों की प्रवेश की अनुमति होगी.
दो महीने बाद खुले पर्यटन स्थल, भूल भुलैया में फिर गूंजी सैलानियों की आवाज - guideline for tourism in up
कोरोना संक्रमण के चलते यूपी में करीब दो महीने से बंद ऐतिहासिक स्मारकों को गुरुवार से खोल दिया गया. इस दौरान घरों में कैद लोग बड़ी संख्या में इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा और भूल भुलैया को देखने पहुंचे. लखनऊ में सभी ऐतिहासिक स्मारक 15 अप्रैल से बंद चल रहे थे.
पहले दिन बड़ा इमामबाड़ा और भूल भुलैया को देखने के लिए पर्यटकों ज्यादा पहुंचे .आज जैसे ही यह स्मारक खोले गए पर्यटकों का आना शुरू हो गया. वहीं इन पर्यटकों में सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या है क्योंकि स्कूल और कॉलेज बंद होने के कारण वह घूमने के लिए पर्यटन स्थलों का रुख कर रहे हैं.
दो महीने बाद भूल भुलैया में गूंजी पर्यटकों आवाज
राजधानी लखनऊ के सभी पर्यटक स्मारक गुरुवार से खुल गए. काफी दिनों बाद पर्यटकों को खुली हवा में घूमने का मौका मिला. बड़ा इमामबाड़ा और भूल भुलैया में सबसे ज्यादा पर्यटक घूमने के लिए पहुंचे. दो महीने से यह स्मारक पर्यटकों के बिना सुने पड़े हुए थे. सैलानियों के पहुंचते ही यहां की रौनक बढ़ गई. दोपहर तीन बजे तक बड़ा इमामबाड़ा और भूल भुलैया में करीब 200 से ज्यादा पर्यटकों घुमने पहुंचे.
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'हे भगवान अब दूर करो कोरोना को'
लखनऊ में कोरोना वायरस के चलते सभी ऐतिहासिक स्मारक 15 अप्रैल से बंद थे. अब जब यह स्मारक खोले गए तो सबसे ज्यादा युवा स्मारकों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं. ज्योति नाम की पर्यटक ने बताया कि वह घर में रहकर बोर हो गई थी. आज जब उन्हें मौका मिला तो उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. क्योंकि खुली हवा में घूमने से मन को शांति मिलती है. वहीं दूसरी पर्यटक मंजू ने बताया कि वह घरों से इसके पहले नहीं निकल पा रही थी, लेकिन आज उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. मंजू भगवान से यही प्रार्थना कर रही है कि इस बीमारी को जल्द दूर करें, जिससे कि वह पहले की तरह आराम से घूम सकें.