लखनऊ : दो दिन बाद प्रदेश में पहले चरण का मतदान होना है. इसे देखते हुए सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं. वहीं सत्ताधारी दल भाजपा ध्रुवीकरण को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. आज प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभाओं में जो भाषण दिए, वह गौर करने लायक हैं. दूसरी ओर लंबे इंतजार के बाद बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती चुनावी मैदान में उतरीं और उन्होंने पूरी रौ में भाषण दिया. मायावती ने सपा-भाजपा दोनों को निशाना बनाया और 2007 की तरह अपनी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील की. समाजवादी पार्टी भी भाजपा को घेरने की कोई कोशिश छोड़ नहीं रही है. मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सपा के समर्थन में अखिलेश यादव के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली हैं. आइए इन खबरों पर विस्तार से चर्चा करते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुजफ्फरनगर में सपा पर जमकर निशाना साधा. सपा सरकार में हुए दंगों में हिंदुओं पर हुए अत्याचार और पलायन की चर्चा की. उन्होंने अपनी सरकार में निर्बाध और भव्य कांवड़ यात्रा का भी जिक्र किया और लोगों से कहा कि यदि आप ऐसी भव्य कांवड़ यात्रा चाहते हैं, तो भाजपा की सरकार बनाएं. दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, किसान, हिंदुओं के पलायन और कांवड़ यात्रा आदि प्रमुख मुद्दे हैं. समाजवादी पार्टी को लगता है कि वह पश्चिम में जाट-मुस्लिम और पिछड़े वोटों के दम पर बाजी मार लेगी. प्रथम चरण के लिए सपा का चुनावी अभियान इन्हीं विषयों के इर्द-गिर्द है. दूसरी ओर भाजपा जानती है कि किसान आंदोलन से जाटों और किसानों में कहीं न कहीं नाराजगी है. यह नाराजगी हिंदुत्व के मसले पर ही दूर हो सकती है. पार्टी को लगता है कि मतदाता नाराजगी के बावजूद हिंदुत्व के मुद्दे पर एक हो सकते हैं. कल प्रचार का आखिरी दिन है. इसलिए सभी नेताओं ने अपने प्रचार अभियान की धार और पैनी कर दी है. बयानों में तल्खी साफ देखी जा सकती है. यदि ध्रुवीकरण की कोशिशें कामयाब हुईं, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नतीजे जरूर चौंकाने वाले होंगे.
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दूसरी ओर बरेली में अपनी पार्टी की सभा में बसपा प्रमुख मायावती आज कुछ ज्यादा ही मुखर दिखाई दीं. उन्होंने प्रदेश में मुसलमानों को निशाना बनाए जाने के मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरा. मायावती ने कहा कि भाजपा सरकार में मुसलमानों को काफी नुकसान पहुंचाया गया है. मायावती ने योगी सरकार पर अगड़ों की उपेक्षा का भी आरोप लगाया. मायावती के भाषण से एक बात साफ हो गई कि इस चुनाव में बसपा को जितना कमतर आंका जा रहा है, उतना है नहीं. मायावती की कोशिश है कि वह मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर अगड़ों और दलितों की सोशल इंजीनियरिंग कर बड़ा उलटफेर कर सकें. इसीलिए उनके भाषणों में सपा और भाजपा दोनों पर बराबर 'वार' होते हैं. मायावती के मैदान में उतरने के बाद विश्लेषकों की यह आशंका बेकार साबित हो सकती है कि 'बसपा से उसका कोर वोट बैंक छिटक सकता है.' यह ठीक है कि काफी वक्त तक मायावती के चुनाव मैदान में न दिखने से उनकी सेहत आदि को लेकर सवाल उठने लगे थे. इसी को लेकर आशंकाएं उठने लगी थीं कि इस बार बसपा का प्रदर्शन सबसे कमजोर हो सकता है.