लखनऊ : समाजवादी पार्टी में इस बार विधानसभा चुनावों में टिकटों का वितरण अजीबोगरीब अंदाज में हो रहा है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव गुपचुप तरीके से प्रत्याशी को बुलाकर सिंबल देकर क्षेत्र में जाने के लिए कह रहे हैं. मीडिया को भी इसकी भनक नहीं लगने दी जा रही है. हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है इस नए पैंतरे का कारण. दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मीडिया से बात करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर तो प्रहार किया, लेकिन एक दिन पहले भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाने वाली बसपा प्रमुख मायावती पर मौन धारण किए रहीं. वहीं भाजपा की नेता और परिवार कल्याण मंत्री के कथित रूप से वायरल वीडियो से 'परिवार का झगड़ा' खुलकर सामने आ गया. आइए इन सब खबरों के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं...
गुपचुप टिकट बांटने के पीछे क्या है सपा प्रमुख अखिलेश यादव की रणनीति - सपा अखिलेश यादव
आज का पूरा दिन यूपी की राजनीति सपा द्वारा गुपचुप तरीके से प्रत्याशी को बुलाकर सिंबल देने, जिन्ना का मुद्दा फिर से गर्माने और स्वाति के वायरल ऑडियो के इर्द-गिर्द घूमता रहा. एक नजर में देखें...
इस बार उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव कई मायनों में अलग है. कोविड प्रोटोकॉल और आयोग के दिशा-निर्देश के कारण आचार संहिता लगने के बाद चुनाव प्रचार एकदम थम सा गया है. प्रचार जनसंपर्क और ऑनलाइन सभाओं तक ही सीमित है. दूसरी ओर इस बार अन्य दलों की अपेक्षा सबसे ज्यादा दलबदलू सपा में पहुंचे. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सभी का दिल खोलकर स्वागत भी किया. शायद अखिलेश यादव ने पहले अनुमान नहीं लगाया था कि बाहर से आने वाले नेता बड़ी मुसीबत या अपने ही दल के नेताओं के असंतोष का कारण बन जाएंगे. अब टिकट वितरण के समय एक-दो घटनाओं के बाद अखिलेश यादव यह समझ गए हैं कि कार्यकर्ताओं में उपज रहा असंतोष यदि ज्यादा बढ़ा तो पार्टी की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है. यही कारण है कि अखिलेश नाराजगी दबाने के लिए गुपचुप तरीके से टिकट वितरण कर रहे हैं. चयनित प्रत्याशी को चुपचाप सिंबल देकर क्षेत्र में जाने के लिए कहा जा रहा है. इस दौरान अन्य नेताओं को मौका मिल जाता है कि बागी की भूमिका में आने से पहले ही नाराज नेताओं को मना लिया जाए. हालांकि यह फार्मूला हर जगह सफल होगा यह कहना कठिन है. आगे के दौर आते-आते सपा कार्यकर्ताओं का असंतोष खुलकर सामने आ सकता है. देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इससे कैसे निपटता है.
अब बात भारतीय जनता पार्टी की. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा सोमवार को लखनऊ में थे. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए जिन्ना वाले बयान पर अखिलेश यादव को घेरने की कोशिश की. पुराने पड़ चुके इस मसले को बार-बार उठाना दरअसल भाजपा की मजबूरी है. पार्टी को वही मुद्दे भाते हैं, जिनसे ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा मिल सके और भाजपा का राष्ट्रवाद का एजेंडा भी सुर्खियों में रहे. दूसरी ओर संबित पात्रा मायावती द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर किए गए कटाक्ष पर ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं. एक दिन पहले ही मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि योगी का गोरखपुर मठ किसी बड़े बंगले से कम नहीं है. इसके पीछे बसपा की सोची-समझी रणनीति है. भाजपा को लगता है कि बसपा से छिटका दलित वोटर इस बार भाजपा के लिए मतदान करेगा. यदि भाजपा मायावती पर हमलावर हुई तो बसपा सुप्रीमो से लगाव रखने वाला दलित वोटर पार्टी से छिटक सकता है. इसलिए भाजपा इस चुनाव में बसपा को लेकर बड़े बयान देने से बचेगी.
अब चर्चा एक वायरल ऑडियो की. 2017 में अचानक आम गृहिणी से नेता बनीं परिवार कल्याण मंत्री स्वाति सिंह एक बार फिर विवादों में आ गई हैं. सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपने पति को लेकर किसी से बात कर रही हैं. इस ऑडियो के वायरल होने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए जा रहे है. दरअसल, 2017 में स्वाति ने लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से चुनाव लड़ा था. इस बार इसी सीट से इनके पति दयाशंकर सिंह भी भाजपा से ही दावा ठोक रहे हैं. ऐसे में दोनों पति-पत्नी आमने-सामने हैं. समझा जा रहा है कि किसी ने राजनीतिक रूप से लाभ लेने के लिए इस ऑडियो को वायरल किया है. जो भी हो, इस ऑडियो के माध्यम से परिवार कल्याण मंत्री के परिवार का मामला चर्चा में जरूर आ गया है.