लखनऊ: खतौनी में बंटवारे का आदेश दर्ज करने के लिए लेखपाल ने खातेदार से 90 हजार रुपये ले लिए. जब आदेश दर्ज न करने पर किसान ने इसका विरोध किया तो उस शख्स ने अभिलेख फाड़कर किसान को फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. इससे क्षुब्ध किसान ने मंगलवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया. पुलिसकर्मियों ने किसान को बचाने के साथ ही गोंडा प्रशासन को सूचना दी. जिसके बाद रिश्वत लेने के आरोप में लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है. पूरा मामला कर्नलगंज तहसील के ग्राम पिपरीमाझा का है.
पीड़ित निर्भयराम उपाध्याय ने बताया कि जमीन के बंटवारे को लेकर 9 जनवरी 1992 को एसडीएम न्यायालय से आदेश पारित हुआ था, लेकिन ये आदेश खतौनी पर नहीं चढ़ा. कुछ माह पूर्व जब उन्हें अभिलेख की जरूरत हुई तो लेखपाल से संपर्क किया. लेखपाल ने अभिलेख में आदेश दर्ज करने के लिए 6 किस्तों में उससे 90 हजार रुपये ले लिए, लेकिन आदेश दर्ज नहीं किया गया. कई बार प्रयास के बावजूद जब कार्य नहीं हुआ तो उन्होंने 27 सितंबर को जनता दर्शन में डीएम से शिकायत की. निर्भय के मुताबिक मामले की जांच एसडीएम को सौंपी गई थी. जब इसकी जानकारी लेखपाल को हुई तो उन्होंने कार्य न करने की बात कहते हुए पैसा मांगने पर अभिलेख फाड़कर फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी.