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उन्नाव दुष्कर्म मामला: कुलदीप सेंगर की सजा पर फैसला टला, 20 दिसंबर को होगी सुनवाई - दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट

उन्नाव दुष्कर्म मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दोषी करार दिया है. इस मामले में कोर्ट कुलदीप सिंह सेंगर की सजा की अवधि को लेकर बहस के लिए 17 दिसंबर का दिन तय किया गया था. कोर्ट अब इस मसले पर 20 दिसंबर को दोबारा सुनवाई करेगा.

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कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार

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Published : Dec 16, 2019, 10:04 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 2:48 PM IST

नई दिल्ली: उन्नाव रेप केस में दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को धारा 376 और पॉक्सो के सेक्शन 6 के तहत 16 दिसंबर को दोषी ठहराया था. कोर्ट ने सजा पर बहस के लिए मंगलवार (17 दिसंबर) का दिन तय किया गया था, जिसके बाद इस मसले पर बहस हुई. कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई 20 दिसंबर से पहले कुलदीप सिंह सेंगर को अपनी आय और संपत्ति का पूरा ब्योरा देना होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस मामले में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहता है.

कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार.

महिलाएं डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं
कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में वे सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं, जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं, जिनसे जूझकर लडकियां और महिलाएं डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं.

पुरुषवादी सोच रही है हावी
कोर्ट ने कहा कि हमारे विचार से इस जांच में पुरुषवादी सोच हावी रही है और इसी वजह से लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा और शोषण के मामले में जांच के दौरान संवेदनशीलता और मानवीय नजरिये का अभाव दिखता है. यही वजह है कि जांच के दौरान इस मामले में कई जगह ऐसा लगा कि पीड़ित और उसके परिवार वालों के साथ निष्पक्ष जांच नहीं हुई.

22 गवाहों के बयान हुए थे दर्ज
इस मामले में कोर्ट ने बचाव पक्ष के 9 गवाह और अभियोजन पक्ष के 13 गवाहों के बयान दर्ज किए थे. उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट ने पीड़िता की चाची का बयान दर्ज किया था. इस मामले में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट ने पीड़िता की मां का भी बयान दर्ज किया था. पिछले एक अक्टूबर को कोर्ट ने उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट का बयान भी दर्ज किया था.

पीड़िता के परिवार को दिल्ली में रहने का दिया था आदेश
पिछले 24 अक्टूबर को कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग को इसके इंतजाम करने का निर्देश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली ट्रांसफर किया गया था केस
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था. पिछले 11 और 12 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर में बनाए गए अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था.

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी त्वरित न्याय की हो व्यवस्था
इस मामले में पीड़िता की वकील पूनम कौशिक ने कहा कि ऐसे मामलों में न केवल ट्रायल कोर्ट में बल्कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर सुनवाई होनी चाहिए. पीड़िता के वकील धर्मेन्द्र मिश्रा ने कहा कि दोषियों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने का विकल्प मौजूद है.

Last Updated : Dec 17, 2019, 2:48 PM IST

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