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यूपी में कोरोना संक्रमित तीन नए मरीज मिले, 15 होम आइसोलेशन में, यहां ठप हुई टीबी की जांच

उत्तर प्रदेश में बुधवार को कोरोना के तीन नए मरीज सामने आए. बीते मंगलवार को सिर्फ एक संक्रमित मरीज मिला था. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यूपी में फिलहाल पैनिक की अवस्था नहीं है. इसके बावजूद विशेषज्ञ चिकित्सक अलर्ट रहने की बात कह रहे हैं. कोरोना गाइनलाइन के पालन के साथ बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

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Published : Jan 11, 2023, 10:32 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बुधवार को कोरोना के तीन मरीज सामने आए हैं. वहीं चार मरीज ठीक भी हुए. इसके अलावा एक्टिव केस का आंकंड़ा 20 हो गया है. सोमवार की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 16 जनपदों में कोरोना संक्रमण के मरीज पाए गए हैं. 24 घंटे में कुल 51 हजार 775 सैंपल की जांच हुई है. बीते मंगलवार को प्रदेश में एक भी संक्रमित मरीज नहीं मिला था. फिलहाल प्रदेशभर में 15 मरीज होम आइसोलेशन में हैं. गौतमबुद्ध नगर में 77 सैंपल की जांच की गई. इनमें से 2 सैंपल की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव रही. इसके अलावा मिर्जापुर में 1025 सैंपल में से एक पॉजिटिव मिला है. यूपी में फिलहाल सबसे ज्यादा मामले गौतमबुद्ध नगर में हैं. यहां 4 एक्टिव केस हैं. इसके अलावा अम्बेडकरनगर में 3 एक्टिव केस हैं. इसके अलावा 14 जिलों में एक-एक सक्रिय केस हैं.

राजधानी में टीबी की जांच ठप : राजधानी में गंभीर टीबी की जांच ठप हो गई है. ट्रूनॉट जांच में इस्तेमाल होने वाले रीजेंट (रसायन) न होने से मरीजों की जांच नहीं हो पा रही हैं. नतीजतन सामान्य जांच के आधार पर टीबी मरीजों की पहचान हो रही है. उसी रिपोर्ट के आधार पर मरीजों को दवा दी जा रही है. बता दें, टीबी की पहचान के लिए तीन तरह की जांच होती है. पहला माइक्रोस्कोपिक, दूसरा ट्रूनॉट और तीसरा सीबीनॉट जांच होती है. तीनों जांच बलगम से होती हैं. माइक्रोस्कोपिक जांच सामान्य टीबी के लिए होती है. जब कोई मरीज बार-बार टीबी का इलाज छोड़ता है तो टीबी का रूप बिगड़ जाता है. मरीज में ड्रग रजिस्टेंट हो जाता है. ऐसे में मरीज एमडीआर या फिर एक्सडीआर की चपेट में आ सकता है. इसका पता लगाने के लिए ट्रूनॉट या फिर सीबी नॉट जांच कराई जाती है.

फिलहाल लखनऊ के करीब 13 सेंटरों में ट्रूनॉट जांच की सुविधा है. बीते करीब तीन माह से ट्रनॉट जांच में इस्तेमाल होने वाला रीजेंट नहीं आ रहा है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. माइक्रोस्कोपिक जांच से मर्ज पता लगाया जा रहा है. ऐसे में एमडीआर या फिर एक्सडीआर टीबी का पता लगाने में अड़चन आ रही है. माइक्रोस्कोपिक जांच के आधार पर मरीजों को सामान्य टीबी की दवा दी जा रही है.

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