लखनऊः राजधानी में बुधवार की शाम को विभूति खंड थाना अंतर्गत कठौता चौराहे पर हुए गैंगवार में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. राजधानी में यह कोई पहला गैंगवार नहीं था, इसके पहले भी दो और गैंगवार की घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले चार सालों में हुए गैंगवार में मुख्तार अंसारी गिरोह के तीन प्रमुख शूटरों की हत्या हो चुकी है.
चार साल में मुख्तार अंसारी गिरोह के तीन प्रमुख शूटरों की गैंगवार में हत्या
राजधानी लखनऊ में पिछले चार सालों से गैंगवार का सिलसिला जारी है. इस दौरान हुए गैंगवार में मुख्तार गिरोह के तीन प्रमुख शूटरों की हत्या हो चुकी है. वहीं पुलिस अभी तक गैंगवार की वारदातों का खुलासा नहीं कर सकी है.
2016 में मुन्ना बजरंगी की हुई थी हत्या
2016 में मुन्ना बजरंगी के साले जीत सिंह को गोलियों से छलनी किया गया था. इसके बाद बजरंगी गिरोह कमजोर पड़ गया. इसी गिरोह के दूसरे शातिर बदमाश मोहम्मद तारीख को भी गोमती नगर में गैंगवार में मार दिया गया. इन दोनों ही घटनाओं की वजह से मुख्तार अंसारी की गुर्गे भी दहशत में आ गए. वर्चस्व की लड़ाई में मुख्तार अंसारी कमजोर पड़ने लगे. पुलिस इन दोनों वारदातों 4 सालों में खुलासा न कर सकी जबकि बुधवार को एक और गैंगवार हो गया.
4 सालों में तीसरा गैंगवार लखनऊ में हुआ
कभी गैंगवार की घटनाएं पूर्वांचल में आए दिन होती थी. लेकिन बीते 4 सालों में गैंगवार राजधानी लखनऊ की सरजमी पर हो रही हैं. यह घटनाएं पुलिस को ही नहीं बल्कि खुद सरकार को भी खुली चुनौती दे रही हैं. बुधवार की शाम को विभूति खंड थाना अंतर्गत कठोरता चौराहे पर गैंगवार में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या हुई. वही इसके पहले भी दो और गैंगवार की घटनाएं 4 सालों के भीतर हो चुकी है. वर्ष 2016 में मुन्ना बजरंगी के साले पुष्प जीत की गैंगवार में हत्या हुई तो उसके बाद इसी गिरोह के मोहम्मद तारीख की गोमती नगर में हत्या कर दी गई.
गैंगवार से कमजोर पड़ गया मुख्तार अंसारी का गिरोह
मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद मुख्तार अंसारी गिरोह कमजोर पड़ने लगा. इसके बाद एक के बाद एक मुख्तार अंसारी गिरोह के दूसरों की हत्याओं ने पूर्वांचल में बड़ा रसूख रखने वाले मुख्तार अंसारी को जरायम की दुनिया में कमजोर कर दिया. वहीं इन दिनों जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही योगी आदित्यनाथ की सरकार की लगातार कार्रवाई की वजह से मुख्तार अंसारी पंजाब की जेल से अब तो बाहर भी नहीं आना चाहते. क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उनकी भी हत्या ना हो जाए.
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