लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उद्यमियों को दी जा रही सहूलियत और सुविधाओं को लेकर यूपी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़ा निवेश हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार के 3 साल के कार्यकाल के दौरान 20 हजार करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश हुआ है, जिसमें करीब 3 लाख लोगों को रोजगार दिए गए हैं. यह जानकारी उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व आईटी इलेक्ट्रॉनिक विभाग के मंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी.
सरकार बनने के बाद लागू हुई थी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति
डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि 2017 में योगी सरकार के गठन के बाद उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति 2017 घोषित की गई थी. इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन घोषित किया गया था. इसके तहत अब तक 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लक्ष्य को हमने 3 साल में पूरा कर लिया है और करीब 30 बड़े निवेशकों द्वारा प्रदेश में यह भारी-भरकम निवेश किया गया है. इस निवेश के होने से प्रदेश में 3 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.
कई देशों की कंपनियों ने किया निवेश
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि चीन, ताइवान और कोरिया की अनेक प्रतिष्ठित कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में अपनी इकाइयां स्थापित की है. एक ओवरसीज प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा ग्रेटर नोएडा के 100 एकड़ क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर भी विकसित किया जा रहा है. आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में स्थापित उत्पादन इकाइयों की वजह से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र भारत के इलेक्ट्रॉनिक हब के रूप में पहचान बना रहे हैं.
अगले पांच साल में 40 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य
डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा के अनुसार, अगले 5 वर्षों में 40 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य अब निर्धारित किया गया है. उत्तर प्रदेश में आईटीआई इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के अंतर्गत तीन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना के अंतर्गत यमुना एक्सप्रेस-वे में जेवर एयरपोर्ट के नजदीक एक इलेक्ट्रॉनिक सिटी की स्थापना, बुंदेलखंड में डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर और लखनऊ-उन्नाव-कानपुर जोन में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है.
40 एकड़ भूमि पर बनेगा हाईटेक आईटी कॉम्प्लेक्स
डिप्टी सीएम ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य प्रदेश के तमाम जनपदों में लगभग 200 करोड़ रुपये के निवेश और लगभग 15 हजार रोजगार की संभावनाओं वाले आईटी पार्क्स की स्थापना कराई जा रही है. यह स्थापना भारत सरकार की संस्था सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के सहयोग से की जा रही है. मेरठ, आगरा, गोरखपुर और वाराणसी में आगामी 5 वर्ष में इन आईटी पार्क में संचालन शुरू हो जाएगा. इसके अलावा लखनऊ में 40 एकड़ जमीन पर पीपीपी मॉडल पर अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी कॉम्प्लेक्स भी बनाया जाना है, जिसके अंतर्गत एक आईटी पार्क और 4 एकड़ भूमि पर एसटीपीआई द्वारा देश का सबसे बड़ा इनक्यूबेशन सेंटर बनाए जाने की भी योजना है.
18 इनक्यूबेटर की स्थापना की मंजूरी
डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की पहल के चलते प्रदेश में आईआईएम लखनऊ, आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू, अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय जैसे प्रदेश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में 18 इनक्यूबेटर की स्थापना की मंजूरी दी गई है. इसके अलावा स्टार्टअप इकाइयों के वित्त पोषण के लिए सिडबी की तरफ से एक हजार करोड़ के स्टार्टअप फंड और यूपी एंजल नेटवर्क की भी स्थापना की गई है.
सभी क्षेत्रों में आईटी सेक्टर के स्टार्टअप को दिया जा रहा बढ़ावा
डिप्टी सीएम ने बताया कि उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप नीति 2020 के अंतर्गत कृषि, चिकित्सा, ऊर्जा, खादी, शिक्षा, पर्यटन, परिवहन आदि सभी क्षेत्रों में आईटी सेक्टर के स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में डाटा सेंटर की नीति भी शुरू की गई है. आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग लगातार बेहतर काम कर रहा है.