लखनऊ:लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग एवं हार्टफुल कैंपस के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया. यह तीन दिवसीय श्रृंखला 26 अक्टूबर 2020 से 28 अक्टूबर 2020 तक आयोजित की गई. इस दौरान पहले दिन 'उच्च निष्पादन हेतु क्षमता का विकास' के विषय पर चर्चा की गई. जबकि, दूसरे दिन 'तनाव प्रबंधन' एवं तीसरे दिन 'अनिश्चितता से निपटना एवं संकट के समय लचीलापन' विषय पर विशेषज्ञयों ने अपनी राय रखी.
पहले दिन यानी 26 अक्टूबर को कार्यक्रम के अंतर्गत हार्टफुल कैंपस की विषय विशेषज्ञ डॉ. रिकिता स्वरूप ने व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए हृदय एवं मन के बीच नियंत्रण हेतु उपयोगी सुझाव छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किए गए, ताकि वह अपने दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझ सके. कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा प्रश्नों के उत्तर पूछे गए एवं अपने विचारों को अन्य लोगों के साथ साझा किया गया. डॉ. ललित कुमार सिंह के द्वारा संचालित अपराह्न के कार्यक्रम की शुरुआत में हार्टफुलनेस कैंपस के विषय विशेषज्ञों द्वारा मन को नियंत्रित करने एवं समझने से जुड़े हुए अत्यंत महत्वपूर्ण सुझाव छात्रों के साथ साझा किए गए.
वेबिनार के दूसरे दिन हार्टफुल कैंपस के विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर श्याम मेहरोत्रा द्वारा तनाव प्रबंधन के ऊपर बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई. इस कार्यक्रम का संचालन मनोविज्ञान विभाग की प्राध्यापिका डॉ. मेघा सिंह द्वारा सफलता पूर्वक किया गया. कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों ने अत्यंत रुचि के साथ संवाद स्थापित किया. इस कड़ी में आगे प्रोफेसर मेहरोत्रा द्वारा तनाव के विभिन्न प्रकार के बारे में प्रतिभागियों को बताया गया एवं उनसे उनके निजी जीवन में होने वाले तनाव एवं उसके प्रबंधन से संबंधित अनुभव भी साझा किए.
कार्यक्रम में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा एवं आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए एवं अपने आप को मानसिक तौर पर मजबूत बनाए रखने के लिए मेडिटेशन से जुड़ी हुई अत्यंत रुचिकर क्रिया का अभ्यास किया गया.
कार्यक्रम के तीसरे दिन के विषय विशेषज्ञ हार्टफुल कैंपस के डॉ. आशीष जौहरी ने 'अनिश्चितता से निपटना एवं संकट के समय लचीलापन' विषय पर उद्बोधन दिया. डॉ. जौहरी का सत्र बहुत ही र्क्रियात्मक रहा. डॉ. जौहरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि अनिश्चितता अपने आप में समस्या नहीं बल्कि उसके प्रति हमारी प्रतिक्रिया ये तय करती है कि वह समस्या है अथवा नहीं. डॉ. आशीष जौहरी ने नकारात्मक विचारों को हटाने के लिए ऑनलाइन ही एक मैडिटेशन सत्र भी कराया, जिसमें सभी ने प्रतिभाग किया.