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'कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाये' गीत के साथ छठ व्रत का तीसरा दिन समाप्त - अमेरिका तक पहुंचने वाला

बिहार से शुरू होकर अमेरिका तक पहुंचने वाले एक मात्र पर्व छठ की पूजा दुनिया भर में धूम-धाम से मनाई जा रही है. छठ व्रती पूरे श्रद्धा भाव के साथ नदी और तालाबों के किनारे जाकर डूबते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दे चुके हैं. कल यानी अब रविवार को व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे.

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Published : Nov 2, 2019, 11:33 PM IST

प्रयागराज: हिंदुओं का प्रमुख पर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. ये पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है. इस पूजा में परिवार और पुत्र की मंगलकामना के लिए सूर्य देव की उपासना की जाती है. इस पर्व का खास रौनक खासकर बिहार, उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है. समय के साथ ही साथ पूरे उत्तर भारत में छठ पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाई जाने लगी है. संगम घाट पर नहाय-खाय से शुरू हुई छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज महिलाएं संगम घाट पर बैठकर पूजा पाठ करती नजर आईं. इसमें व्रती महिलाएं दिनभर निराजला व्रत रहती हैं.

छठ व्रत का तीसरा दिन समाप्त.

हनुमान धाम स्थित पौराणिक तालाब में की छठ पूजा
शामली जिले में छठ महापर्व के तीसरे दिन महिलाओं ने शाम के समय डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर मनौतियां मांगी. इस दौरान नदियों और तालाबों के घाट छठी माता के मधुर गीतों से गूंजते नजर आए. 'कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, दर्शन दीन्हीं ना अपन ये छठी मइया' जैसे गीत गाकर महिलाओं द्वारा सूर्य की उपासना की. लोग शनिवार की शाम शामली के हनुमान धाम स्थित पौराणिक तालाब पर एकत्रित हुए. यहां पर डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की. भोजपुरी समाज के लोगों ने बताया कि रविवार की सुबह उगते सूरज की आराधना की जाएगी.

मन्नतों का पर्व है छठ पूजा
पौराणिक तालाब पर पूजा करने के लिए पहुंचे भोजपुरी समाज के लोगों ने बताया कि छठ पर्व सूर्य की उपासना का पर्व है. सूर्य की आराधना को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है. छठ पर्व को भोजपुरी समाज द्वारा उत्साह पूर्वक मनाया जाता है. इस पर्व का समाज के लोगों में बेसब्री से इंतजार रहता है. यह पर्व मन्नतों का पर्व भी माना जाता है. कई लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर सूर्य देव को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं.

पुत्र की लम्बी आयु के लिए तमसा नदी के तट पर पहुंची महिलाएं
मऊ जिले में छठ पर्व की धूम देखने को मिली. जिले के तमसा नदी सहित तालाब और पोखरों पर व्रती महिलाएं पहुंचकर पूजन-अर्चना की. दरअसल, छठ पर्व में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. व्रती महिलाएं चार दिन का कठिन व्रत करती हैं, जिसके बाद छठ पर्व के दिन शाम को डूबते हुए भगवान सूर्य को और अगले दिन उगते हुए भगवान सूर्य़ को जल चढ़ाया जाता है. व्रत करने वाली महिलाएं अपने पुत्र की लम्बी आयु के लिए इस पर्व को श्रद्धा पूर्वक करती हैं. व्रती महिला बंदना सिंह ने बताया कि यह पर्व पुत्र की लंबी आयु और बेहतर भविष्य के लिए किया जाता है.

पूर्वांचल की महिलाओं ने खन्नौत नदी के किनारे किया छठ पूजा
शाहजहांपुर जिले में छठ पूजा बड़ी धूमधाम से मनाई गई. यहां पूर्वांचल के रहने वाले लोगों ने नदी के किनारे छठ पूजा करके छठी मैया से अपनी-अपनी मनोकामनाएं मांगी. ऐसी आस्था है कि छठ मैया भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करती हैं. यहां के खन्नौत नदी के किनारे पूर्वांचल की रहने वाली महिलाओं ने पूजा-अर्चना की और नदी के पानी में खड़े होकर छठी मैया से मनोकामनाएं मांगी. इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर छठ मैया की उपासना करती हैं.

अस्ताचलगामी सूर्य को छठ व्रतियों ने दिया अर्घ्य
जौनपुर जिले मेंलोक आस्था के महापर्व की झलक जनपद जौनपुर के गोमती नदी के तट पर भी देखने को मिली. जहां व्रती महिलाओं ने अस्ताचल भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपने पति और परिवार की खुशी की कामना की. भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ पूजा करने वाली महिलाएं दोपहर से ही गोमती घाट के किनारे पहुंचने लगी थीं, जिससे पूरा गोमती का किनारा भक्ति भावना में लीन दिखा. महिलाए अपने आराध्य को अर्घ्य देने के लिए गोमती नदी में घण्टों खड़ी रहीं. छठ पूजा की भीड़ देखते हुए समाजसेवी संगठनों ने घाटों पर व्यवस्था की गई थी पर प्रशासन की तरफ से पर्याप्त व्यव्यस्था नजर नहीं आई.

पहली बार छठ पूजा करने वाली रेखा देवी ने बताया कि उनके घर में छठ पूजा नहीं होती थी, लेकिन उनकी मनौती पूरी होने के बाद इस बार उन लोगों ने छठ पूजा शुरू किया है और भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया है. कल सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा सफल होगी.

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