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राम मंदिर आंदोलन: कहानी उनकी, जिन्होंने रामलला के लिए किया संघर्ष

राम जन्मभूमि आंदोलन में कई लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होना है. ऐसे समय में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे लोगों का सपना साकार हो गया है.

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Published : Nov 12, 2019, 2:40 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

लखनऊ: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर आंदोलन और इससे जुड़े लोगों की यादें एक बार फिर जेहन में ताजा हो गई हैं. विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अयोध्या आंदोलन को आगे बढ़ाया. अब फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. अशोक सिंघल, महंत परमहंस दास, महंत अवैद्यनाथ, साध्वी ऋतंभरा जैसे लोगों ने इस अभियान को आगे बढ़ाया. वहीं लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, विनय कटियार, उमा भारती, कल्याण सिंह और मुरली मनोहर जोशी ने भी मंदिर निर्माण के लिए दशकों तक लड़ाई लड़ी. हालांकि इनमें से कई लोगों पर 6 दिसंबर 1992 के विध्वंस में शामिल होने या षडयंत्र रचने का आरोप है.

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राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका रामचंद्र परमहंस जी महाराज, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल, बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक रहे विनय कटियार, बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, निर्मोही अखाड़ा के महंत भास्कर दास और मुरली मनोहर जोशी की रही. वहीं इस पूरे अभियान को आगे बढ़ाने में जिसने बीजेपी के अंदर जान फूंकी और इसे पूरी तरह बीजेपी का अभियान बना डाला वो लालकृष्ण आडवाणी थे. उन्होंने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक राम रथ यात्रा भी निकाली और उसको लेकर देशभर में बीजेपी के पक्ष में माहौल भी बनाया.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उदारवादी चेहरों में शामिल थे. बावजूद इसके अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बार इसके समाधान का प्रयास भी किया. बाबरी ढांचा गिरने के बाद जब नरसिम्हा राव सरकार ने संघ और विश्व हिंदू परिषद पर प्रतिबंध लगाया, तब अटल ने संसद में इसका विरोध किया. ढांचा गिरने से एक दिन पहले उन्होंने लखनऊ में जो भाषण दिया था वह भी काफी चर्चा में रहा.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल हैं. मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए ढांचा गिरा. इस आरोप में इन पर मुकदमा चलाया गया. बाबरी ढांचा विध्वंस होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा था कि राम के लिए एक दिन क्या जीवन भर जेल में रहने को तैयार हूं. एक सत्ता क्या सैकड़ों सत्ता को मैं ठोकर मार सकता हूं. इसके अलावा राम मंदिर आंदोलन के समय जिन प्रमुख लोगों की भूमिका रही उनमें साध्वी ऋतंभरा, राजमाता सिंधिया की भी खूब चर्चा रही. इन्होंने लंबे संघर्ष के बाद राम जन्मभूमि आंदोलन को गति दी. हालांकि बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में इनमें से कई लोग आरोपी भी हैं, जिनपर अभी मुकदमा चल रहा है.

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