उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

उपमुख्यमंत्री के दावे की ये है हकीकत, राजधानी के एडेड स्कूलों में हिंदी के शिक्षक पढ़ा रहे गणित

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा(Deputy Chief Minister Dr Dinesh Sharma) का दावा है कि प्रदेश के स्कूलों की स्थिति बेहतर हुई है. बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती की गई. उनके इन सरकारी दावों की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने पड़ताल की. हमारी टीम ने लखनऊ के सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों का निरीक्षण किया. इस पड़ताल के दौरान उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश (Dr Dinesh Sharma) शर्मा के दावों का सच खुलकर सामने आया.

उपमुख्यमंत्री के दावे की ये है हकीकत
उपमुख्यमंत्री के दावे की ये है हकीकत

By

Published : Aug 14, 2021, 4:08 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 5:19 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने ईटीवी भारत को दिए के साक्षात्कार में दावा किया कि स्वतंत्रता के बाद पहली बार प्रदेश में सबसे ज्यादा संख्या में शिक्षकों की भर्ती योगी सरकार में की गई हैं. उनका कहना था कि प्रदेश में रोज ही भर्तियां की जा रही हैं. उपमुख्यमंत्री के दावे की जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. असल में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब है. यहां बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं. स्कूलों में गणित, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान जैसे विषय पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं है. ईटीवी भारत की पड़ताल में कुछ स्कूल ऐसे भी मिले जहां हिंदी और अंग्रेजी के शिक्षकों को गणित जैसे विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है. डॉक्टर आरपी मिश्रा की मानें तो प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या करीब 4500 है. जिनमें शिक्षकों के पद 93 से 94000 तक है. हैरानी की बात यह है कि इनमें 40,000 से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं.

यह है लखनऊ के स्कूलों का हाल

  • सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय योगेश्वर ऋषि कुल इंटर कॉलेज में छात्र-छात्राओं की संख्या 400 से 500 के बीच में है. वर्तमान में स्कूल में प्रिंसिपल समेत कुल 8 शिक्षक मौजूद है. हैरानी की बात यह है कि गणित और विज्ञान जैसे विषयों में वर्ष 2010 से कोई शिक्षक उपलब्ध नहीं है.
    उपमुख्यमंत्री के दावे की ये है हकीकत
  • योगानंद बालिका विद्यालय की स्थिति तो इससे भी ज्यादा खराब है. यहां पढ़ने वाली छात्राओं की संख्या करीब एक हजार है. पढ़ाने के लिए प्रिंसिपल के साथ केवल एक शिक्षक उपलब्ध है.
  • महात्मा गांधी इंटर कॉलेज मलिहाबाद में प्रिंसिपल के साथ कुल 8 शिक्षक उपलब्ध हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 1200 है.
  • काशीश्वर इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब दो हजार है, लेकिन यहां इंटरमीडिएट में अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, भूगोल और कंप्यूटर जैसे विषय पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं है.

80% से ज्यादा स्कूलों की हालत खराब
यह चार उदाहरण सिर्फ बानगी भर हैं.राजधानी लखनऊ में सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की संख्या करीब 99 है. 80 परसेंट से ज्यादा स्कूलों की स्थिति खराब है. योगेश्वर ऋषि कुल इंटर कॉलेज के शिक्षक डॉ आरके त्रिवेदी ने बताया कि उनके स्कूल में वर्ष 2010 से गणित और विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं है. मजबूरन, फाइनेंस मोड पर शिक्षक रखकर छात्रों का सिलेबस पूरा कराया जाता है. लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज के शिक्षक और माध्यमिक शिक्षक संघ के आय-व्यय निरीक्षक विश्वजीत सिंह ने बताया कि लखनऊ के ज्यादातर स्कूलों में यही स्थिति देखने को मिल रही है.

इसलिए खत्म हो रहे सहायता प्राप्त स्कूल
माध्यमिक शिक्षक संघ लखनऊ इकाई के कोषाध्यक्ष और डीएवी स्कूल के शिक्षक महेश चंद्र ने बताया कि सोहनलाल गर्ल्स इंटर कॉलेज में चार-पांच सौ बच्चों को पढ़ाने के लिए 4-5 शिक्षक ही उपलब्ध हैं.एक शिक्षक के लिए इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को पढ़ा पाना संभव ही नहीं है. ऐसे में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चे पढ़ने ही नहीं आ रहे हैं.एक जमाने में बड़ी संख्या में बच्चों के लिए पढ़ाई का माध्यम बनने वाले इन स्कूलों में अब छात्र संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

2016 के बाद नहीं हुई नियुक्ति
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रधानाचार्य की भर्ती के लिए वर्ष 2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई. आज तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. इसी तरह वर्ष 2013 में भी प्रधानाचार्य की भर्ती के लिए प्रक्रिया अपनाई गई. अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया. उन्होंने बताया कि शिक्षकों की भर्ती के लिए 2016 में अंतिम बार भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी. डॉक्टर आरपी मिश्रा की मानें तो प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या करीब 4500 है. जिनमें शिक्षकों के पद 93 से 94000 तक है. हैरानी की बात यह है कि इनमें 40,000 से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं.

इसे भी पढ़ें-नई शिक्षा नीति से रोजगार परक शिक्षा को मिला महत्व: दिनेश शर्मा

Last Updated : Aug 14, 2021, 5:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details