लखनऊ :अस्पतालों में गंभीर मरीजों की भर्ती को लेकर आनाकानी की जा रही है. वर्तमान में राजधानी से लेकर विभिन्न जनपदों में अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर मरीज तड़पते मिलेंगे. यह अव्यवस्था मीडिया में सुर्खियां बनने पर सरकार की किरकिरी हो रही है. ऐसे में अब शासन सख्त हो गया है. इसके लिए हर अस्पताल में नोडल अफसर तैनात होंगे. यह मरीजों की भर्ती सुनिश्चित कराएंगे.
अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल के मुताबिक सभी अस्पतालों को मरीजों के प्रति गंभीर रहना होगा. उन्हें समय पर इलाज सुनिश्चित कराना होगा. इसके लिए एक नोडल अफसर बनाना होगा. यह इमरजेंसी गेट पर राउंड लेंगे. ये यहां इलाज के अभाव में बाहर परेशान मरीजों की दिक्कत पूछेंगे. साथ ही उनकी भर्ती भी सुनिश्चित करेंगे. इसके अलावा सेक्टर मजिस्ट्रेट भी अपने क्षेत्रों के गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए जिम्मेदार होंगे. इसमें हीलाहवाली कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
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विशेषज्ञों का बनेगा समूह, सरकार को देंगे सलाह
नवनीत सहगल के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों का एक समूह बनेगा. यह विशेषज्ञों की टीम कोरोना नियंत्रण को लेकर अपने सुझाव देंगी ताकि उस पर नीति बनाई जा सके. साथ ही मीडिया के माध्यम से नागरिकों को भी बीमारी से बचाव को लेकर जागरूक करेंगे. सरकार ने चिकित्सा कर्मियों का 25 फीसद कोरोना अलाउंस देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति जता दी है.
लक्षण वाले मरीज स्कूल में होंगे क्वारंटाइन
5 तारीख से कोरोना नियंत्रण को लेकर अभियान चलेगा. प्रदेश के सभी 90,000 राजस्व ग्राम पंचायतों में निगरानी समितियां भ्रमण करेंगी. यह जुखाम, बुखार, खांसी वाले रोगियों को चिन्हित करेंगी. इसके बाद रैपिड रिस्पांस टीम पहुंचकर उनका एंटीजन टेस्ट करेंगी.
साथ ही मेडिकल किट भी उपलब्ध कराएंगी. ऐसे में लक्षण वाले रोगी जिनके घर में क्वारंटीन होने के लिए कमरे अलग नहीं होंगे, उन्हें स्कूल या अन्य भवनों में क्वारंटीन सेंटर बनाकर रखा जाएगा. उनके भोजन की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जाएगी. इसके साथ ही अभियान के अंतर्गत करीब 10 लाख एंटीजन टेस्ट व 10 लाख मेडिकल किट वितरित की जाएंगी.