लखनऊ :देश में महंगाई ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है. महंगाई की मार से अमीर-गरीब सभी परेशान हैं. महंगाई ने सिर्फ इंसानों के खाने की थाली ही नहीं, बल्कि पशुओं का आहार महंगा का दिया है. दिनोंदिन महंगी हो रही पशुओं की खुराक से पशुपालक परेशान हैं. इस बात से पशुपालन करने वाले किसानों का मोह भंग होने लगा है. बढ़ती महंगाई के कारण महंगी हो रही पशुओं की खुराक के विषय में ईटीवी भारत की टीम ने पशुपालन करने वाले कुछ लोगों से खास बातचीत की.
बातचीत के दौरान लखनऊ के जबरौली गांव में रहने वाले 60 वर्षीय लक्ष्मी नारायण बताते हैं कि पशुओं को खिलाने वाला चोकर व भूसा महंगा हो गया है. दूध का दाम अभी भी पुराना है, पानी के लिए तालाब सूख चुके हैं. जानवरों के चारे के लिए खेत में वह जो फसल उगाते हैं, उसे छुट्टा जानवर उसे बर्बाद कर देते हैं. ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जानवर पालना बड़ा ही मुश्किल काम है. लक्ष्मी नारायण के पास 6 गाय और 3 भैंस हैं. लक्ष्मी नारायण बताते है कि हाल हीं में उन्होंने 52 हजार रुपये में एक भैंस खरीदी थी. भैस का आहार ज्यादा है और दूध का दाम पुराना है. इसलिए दूध के बल पर भैंस पालना घाटे का सौदा साबित हो रहा है. बढ़ती महंगाई की इन परिस्थियों के कारण लक्ष्मी नारायण अपने परिवार को लोगों को पशुपालन न करने की सलाह दे रहे हैं.
एक अन्य पशुपालक राम खिलावन ने बताया कि दूध के भावों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई, तो पशुओं को रखना मुश्किल होगा. राम खिलावन कहते है कि पशुओं को घर लाने से पहले यह सोचना होता है कि उनके खाने का इंतजाम कैसे होगा. उन्होंने बताया कि जानवरों के लिए खेत में उगाई गई चरी को छुट्टा जानवर खा जाते हैं. इसके अलावा भूसा और चोकर भी महंगा है.